छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल के चाचा अश्विनी बघेल ने स्वीकार किया है कि उन्होंने सरकारी ज़मीन पर खेती की है. अश्विनी बघेल ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में कहा कि जो उनकी खेत में जाने की सड़क बनी है वो भी घास ज़मीन पर है. भूपेश बघेल के गांव कुरुदडीह में ज़मीन विवाद की तह तक जाने के लिए लल्लूराम डॉट कॉम के तीरंदाज़ वैभव पांडेय ने उनके पिता नंदकुमार बघेल से भी बात की.
नंदकुमार बघेल ने कहा कि उनके बेटे भूपेश बघेल के नाम कहीं कोई जमीन नहीं है. और ना ही किसानों को आबांटित जमीन पर कब्जा है. उन्होंने कह दिया कि किसान उनके खेतों से फसल चोरी करते थे. इसलिए उनके खेत जाने वाले रास्ते को बंद कर दिया. अब सरकार चाहे तो उनके लिए फ्लाईओवर बनवा दे. वो रास्ता नहीं खोलेंगे.
यहां, कुरुदडीह के किसानों का कहना है कि भूपेश बघेल के पिता नंदकुमार बघेल और उनके चाचा अश्वनी बघेल का खेत उन्हें आबांटित हुए खेतों के दोनों ओर है. और उन्हें जो सरकारी घास जमीन खेती के लिए आबांटित हुई वो बीच में है. 2002 में अश्वनी बघेल ने उनके खेत की ओर जाने वाले रास्ते को बंद कर दिया. जिससे वे 16 साल से अब खेती नहीं कर रहे. विवाद की असली वजह यही है.
किसानों का आरोप है कि आज जो भूपेश बघेल के चाचा अश्विनी बघेल का तालाब है वो पहले डबरी थी और यह पंचायत की ज़मीन है. यहां पर एक गोदाम का निर्माण भी हो रहा है. जो घास ज़मीन पर है.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि घास ज़मीन का स्वरुप कोई नहीं बदल सकता यानी अगर किसानों का आरोप सही है तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश की यहां अवहेलना हो रही है.
दरअसल, भूपेश बघेल 15 साल पुराने जमीन कब्जा विवाद को लेकर घिर गए हैं ? क्यों उनके संरक्षण में उनके परिवार वालों पर किसानों की जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगा है. पड़ताल में ये पता चला कि सन् 75 में जिन भूमिहीन किसान परिवारों को सरकारी घास जमीन आबंटित की गई थी, वे आज भूमिहीन नहीं है. 14 किसानों में आधे से ज्यादा के पास अब अपनी खुद की जमीन, पक्का मकान और गाड़ी है. दूसरी ओर ये भी सच है कि भूपेश बघेल के नाम भी कोई खेती जमीन नहीं है. क्योंकि वो सब उनके पिता और चाचा के नाम है
लेकिन ये सच है कि जो जमीन खाली पड़ी है वो बघेल परिवार के घेरे के भीतर है. और उसे सीधे-सपाट शब्दों में कहे तो कब्जे में है. क्योंकि खेतों तक पहुँचने वाले रास्ते पर कब्जा तो बघेल परिवार का ही है. यही वजह है कि भूपेश अपने विरोधियों के निशाने पर है और इसे लेकर राजनीतिक बवाल मचा हुआ है