मोसीम तड़वी, बुरहानपुर। देश के ऐतिहासिक धरोहर में शामिल मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले में स्थित असीरगढ़ के किले का मुख्य दरवाजे को शरारती तत्वों ने आग के हवाले कर दिया है। आग से किले के मुख्य दरवाजा पूरी तरह जलकर खाक हो गया है। जिला पुरात्तव अधिकारी ने निम्बोला थाने में इसकी शिकायत दर्ज कराई है।
बताया जाता है कि आगजनी की घटना के बाद पुरातत्व विभाग मामले में लीपा-पोती में लगा हुआ है। बता दें कि देश की ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल है अजेय असीरगढ का यह किला। जमीन की सतह से करीब 250 फीट ऊंचाई पर सतपुड़ा की पहाड़ी पर स्थित है कई घटनाओं का साक्षी यह ऐतिहासिक किला।
असीरगढ किले का इतिहास
असीरगढ़ मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले में स्थित ऐतिहासिक एवं प्रसिद्ध किला है। यह किला बुरहानपुर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर दिशा में सतपुड़ा पहाडिय़ों के शिखर पर समुद्र सतह से लगभग 250 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह किला आज भी अपने वैभवशाली अतीत की गाथा कर रहा है। इसकी तत्कालीन अपराजेयता स्वयं सिद्ध होती है। इसकी गणना विश्वविख्यात उन गिने चुने कि़लों में होती है, जो दुर्भेद और अजेय, माने जाते थे। इस किले की स्थापना कब और किसने की, यह विश्वास से नहीं कहा जा सकता।
द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा की अमरत्व की गाथा
कुछ इतिहासकार इस किले का महाभारत के योद्धा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा की अमरत्व की गाथा से संबंधित और उनकी पूजा स्थली बताते हैं। बुरहानपुर के “गुप्तेश्वर महादेव मंदिर” के समीप से एक सुंदर सुरंग है, जो असीरगढ़ तक लंबी है। ऐसा कहा जाता है कि विशेष पर्व के दिन अश्वत्थामा ताप्ती नदी में स्नान करने आते हैं, और बाद में गुप्तेश्वर की पूजा कर अपने स्थान पर लौट जाते हैं।
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