बीडी शर्मा,दमोह। मध्य प्रदेश के दमोह जिले के कई गांवों में इन दिनों चमकीले पत्थर मिल रहे हैं. जो 20 रुपए लेकर 20 हजार रुपए तक में बिक रहे हैं. सुबह से सैकड़ों की तादाद में बिसनाखेड़ी और आसपास के लोग अनोखे पत्थर ढूंढने पहुंच रहे हैं और बाहर से आ रहे अज्ञात खरीददारों को बेंच रहे हैं, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इसकी जानकारी स्थानीय प्रशासन को नहीं है.

प्रशासन को नहीं है खबर

दरअसल दमोह जिले के माता टोरिया और अन्य जगहों पर करीब 15 दिनों से चमकीले पत्थर मिलने का सिलसिला शुरू हुआ है. ग्रामीण सुबह से ही चमकीले और अनोखे पत्थरों की खोज में जुट जाते हैं. पत्थर मिलने पर बाहर से आने वाले खरीददारों को बेच देते हैं. बाहर से अनोखे पत्थर की खरीददारी के लिए आने वाले खरीददार कौन हैं और कहां से आते हैं, इसकी जानकारी ना तो प्रशासन को है और ना ही स्थानीय लोगों को है. गांव के दलालों के माध्यम से खरीददार पत्थरों की खरीदी कर भाग जाते हैं.

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पत्थरों के बारे में किसों को पता नहीं

गांव वाले बताते हैं कि खरीदने वाले कार से आते हैं. वे हफ्ते में कई बार आकर पत्थर खरीदकर चले जाते हैं. हालांकि उनके आने-जाने का कोई तय समय नहीं है. उनका कहना है कि अभी तक अनोखे पत्थर की वास्तविक पहचान कोई नहीं कर पाया है. इसका क्या उपयोग किया जाएगा, इसकी भी जानकारी नहीं है. इससे पहले तेंदूखेड़ा तहसील के बोरिया गांव में भी भारी मात्रा में इस तरह के अनोखे पत्थरों के मिलने का सिलसिला शुरू हुआ था, जो आज भी जारी है. लोगों का कहना है कि खरीदने वालों के कहने पर ही गांववाले पत्थरों की खोज कर रहे हैं.

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शासन को राजस्व का घाटा

पत्थर मिलने के बारे में सूचना नहीं होने से शासन को भी टैक्स का घाटा हो रहा. साथ ही इस पत्थर की वास्तविक कीमत क्या है इसकी जानकारी नहीं होने से ग्रामीणों को सही कीमत भी नहीं मिल पा रही है. खरीददार सस्ते दामों में खरीदकर चले जाते हैं. इस मामले में फिलहाल कोई एक्सपर्ट या प्रशासनिक अधिकारी कुछ कहने की स्थिति में नहीं है. प्रशासन संबंधित मामले में किसी भी प्रकार से कोई कार्रवाई भी नहीं कर रहा है.

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