न्यामुद्दीन अली, अनूपपुर। सरकार भले ही विकास के लाख दावे करे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. आज भी दूर-दराज के गांव विकास की मुख्य धारा से कोसों दूर हैं. हम बात कर रहे हैं अनूपपुर जिले की. प्रदेश के अंतिम छोर में स्थित इस जिले के कई गांवों में आज भी विकास नहीं पहुंचा है. हालात ये हैं कि बच्चों को अपना भविष्य संवारने नदी पार कर स्कूल जाना पड़ता है. पुल नहीं होने के कारण बच्चों को मजबूरी में नदी पार कर स्कूल जाना पड़ रहा है.
नाव के सहारे नदी पार
सोन नदी के किनारे बसे पौंडी, मानपुर, बकेली समेत दर्जनों गांव के बच्चे चचाई पढ़ने आते हैं, लेकिन सोन नदी में पुल नहीं बनने के कारण बच्चों को नदी पार कर जाना पड़ता है. छात्र रोज 10 रुपए देकर नाव से नदी पार कर स्कूल जाते हैं. नाव चालक भी प्रशिक्षित नहीं है, जिससे कभी भी बड़ी घटना हो सकती है. ग्रामीण बताते हैं कि बरसात के समय में समस्या और भी गंभीर हो जाती है. उस समय नदी में काफी पानी होता है. इसकी वजह से बच्चे बारिश के मौसम से डेली स्कूल नहीं जा पाते या फिर 20 किलोमीटर घूमकर जाना पड़ता है.
चार साल से पुल का निर्माण अधूरा
करोड़ों की लागत से पुल का निर्माण कार्य चार साल पहले 2017 से शुरू हुआ था. जिसे 2019 तक पूर्ण हो जाना था. ठेकेदार और अधिकारियों की लापरवाही के कारण आज तक पुल का निर्माण पूरा नहीं हो सका है. दर्जनों गांव के छात्र-छात्राओं समेत सैकड़ों ग्रामीण श्रमिक भी चचाई पावर प्लांट में मजदूरी करने नाव से नदी पार कर जाते हैं. ग्रामीणों ने कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को इस विषय से अवगत कराया, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है. ठेकेदार की लापरवाही ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है.
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