सुप्रिया पांडेय, रायपुर। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इन दिनों असमंजस की स्थिति में है. सरकार ने सुपोषण अभियान में शामिल लोगों को गर्म खाना परोसने का फरमान जारी किया है, लेकिन इसके ताम-झाम इतने हैं कि कार्यकर्ताओं को यह रास नहीं आ रहा है. समस्या से निजात दिलाने के लिए गर्म खाना की बजाए हितग्राहियों को सूखा राशन देने की वकालत कर रही हैं.
कोरोना काल में जिन जिलों में आंगनबाड़ी का संचालन नहीं हो रहा, उन जिलों में कार्यकर्ताओं को हितग्राहियों के घरों में जाकर गर्म भोजन देने का आदेशय़ जारी हुआ था, लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने दलील दी कि टिफिन की व्यवस्था नहीं है, और दूसरा हर रोज इतने लोगों के घरों में जाना भी संभव नहीं. इसके साथ कार्यकर्ताओं को कोरोना संक्रमण का भी खतरा होगा. इस आपत्ति के बाद आदेश में बदलाव करते हुए अब आंगनबाड़ी को सुबह 9 से दोपहर 2 बजे तक खोलकर गर्म भोजन बनाने के बाद हितग्राहियों को बर्तन साथ लाकर भोजन ले जाने के लिए सूचित करने कहा गया.
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लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इस आदेश से भी खुश नहीं हैं. छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी सहायिका संघ की प्रांताध्यक्ष सरिता पाठक का कहना है कि कोरोना काल में सूखा राशन का वितरण करना ज्यादा बेहतर होगा, क्योंकि आंगनबाड़ी में गर्म भोजन बनाने की बेहतर व्यवस्था नहीं है. अपनी इस मांग को लेकर वे सोमवार को एक बार फिर शासन को ज्ञापन सौपेंगी.
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