अजयारविंद, शहडोल। आधुनिकता के इस दौर में एक तरफ, जहां देश चांद पर इंसान भेजने के लिए काम कर रहा है। वहीं शहडोल जिले के अंतिम छोर पर बसे विजयसोता गांव की 4 हजार आबादी देश आजाद होने के 75 साल बाद भी मोमबत्ती और ढिबरी के सहारे जिंदगी जीने को मजबूर हैं। गांव में आजतक बिजली नहीं पहुंची है। गांव में बिजली के तार तो पहुंच गए हैं लेकिन बिजली नहीं पहुंची है। ग्रामीणों को सरकारी सिस्टम की नाकामी खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। बिजली विभाग (electricity department) की लापरवाही के कारण  ग्रामीणों ने आजतक  टीवी और कम्प्यूटर का मुंह तक नहीं देखा है। बिजली नहीं आने से नाराज ग्रामीणों ने शनिवार को  ब्यौहारी भाजपा विधायक शरद कोल ( BJP MLA Sharad Kol)  का पुतला दहन कर विरोध जताया। 

इसे भी पढ़ेः मासूम का ‘तमंचे पर डिस्को’: पैरेंट्स के सामने हाथ में माउजर लहराकर ‘नाच होगा….गाने पर जमकर थिरका बच्चा, कई बार दबाया ट्रिगर, देखिए VIDEO

बिजली नहीं आने से नाराज ग्रामीणों ने शनिवार को  ब्यौहारी भाजपा विधायक शरद कोल का पुतला दहन किया

शहडोल जिले की ब्यौहारी जनपद अंतर्गत आने वाले ग्राम विजयसोता में बुनियादी समस्याओं को लेकर मुख्य रूप से बिजली को लेकर ग्रामीणों ने कई बार शासन प्रशासन से गांव को रोशन करने के लिए मदद की गुहार लगा चुके हैं।

ग्रामीण जिला प्रशासन से लेकर प्रदेश की राजधानी तक सैकड़ों बार लिखित शिकायत कर चुके। इतना ही नही क्षेत्रीय विधायक सांसद से लवकर मुख्य मंत्री तक शिकायत कर चुकते हैं। बावजूद इसके आज तक उनके गांव में बिजली न पहुंची। इसी बात से नाराज ग्रामीणों ने आज क्षेत्रीय भाजपा विधायक शरद कोल का पुतला दहन कर विरोध जताया।

इसे भी पढ़ेः BIG BREAKING: मंत्री विश्वास सारंग ने कोरोना की तीसरी लहर कम घातक होने का किया दावा, बोले- जो पॉजिटिव हैं, उनकी तबीयत ज्यादा खराब नहीं

गेंहूं पिसाने से लेकर मनोरंजन के साधन उपलब्ध नहीं 

ग्रामीणों ने कहा कि गांव में बिजली नहीं पहुंचने के कारण टेलीविजन, मोबाइल, कम्प्यूटर, जैसी चीजों से हम कोसों दूर हैं। बिना बिजली के परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गेंहूं पिसाने से लेकर मनोरंजन के साधन उन्हें नसीब नहीं है। रात को बच्चों को पढऩे के लिए भी लालटेन का सहारा लेना पड़ता है। गांव में शाम होते ही ग्रामीणों को जंगली जानवरों के खौफ से खुद के घरों में कैद कर लेते हैं। वहीं, सबसे बुरे हालात हैं स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के जिन्हें शाम ढलने के बाद चिमनी और लालटेन के सहारे पढ़ना पड़ता है। ग्रामीण छात्रों का कहना है कि उनका भविष्य अन्धकार में है। वो चाहे कितनी भी मेहनत कर लें लेकिन चिमनी के सहारे अपना भविष्य नहीं सवार सकते है।

इसे भी पढ़ेः मध्यप्रदेश में ‘कोरोना’ बेलगामः प्रदेश में पिछले 24 घंटे में 1577 संक्रमित, राजधानी भोपाल में 28 बच्चे पॉजिटिव मिले, प्रदेश के 52 में से 47 जिलों में पहुंचा Corona

डिजिटल इंडिया के इस दौर में ग्रामीण मोबाइल और कम्प्यूटर से अनजान

ग्रामीणों ने कहा कि ग्रामीणों का कहना है डिजिटल इंडिया के इस दौर में ग्रामीण मोबाइल और कम्प्यूटर से अनजान हैं। देश को आजद हुए 75 साल बीत जाने के बाद भी आज इस गांव के लोगों के जीवन में आज भी अंधेरा है। शहडोल जिले के प्रशासनिक अधिकारी से लेकर सांसद , विधायक से लाख शिकायतें और प्रदर्शन के बाबजूद आज तक उनके गांव में बिजली नहीं पहुंची है।

Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus