नई दिल्ली। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को बेहतर मार्गदर्शन देने के मकसद से दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने ‘देश के मेंटॉर’ प्रोग्राम की शुरुआत की, लेकिन अब इस कार्यक्रम को रोकने को कहा गया है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने दिल्ली सरकार से अपने इन कार्यक्रम को निलंबित करने को कहा है. दरअसल आयोग को इस कार्यक्रम में कुछ खामियां मिली हैं, जिसके तहत इसे तब तक निलंबित करने की बात कही गई है, जब तक उन सभी खामियों को दूर न कर किया जाए. आयोग के मुताबिक, बच्चों को इस कार्यक्रम से कुछ खतरों के सामना करना पड़ सकता है.

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एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने बताया कि हम बड़ी संख्या में ऐसे मामले देख रहे हैं, जहां समान लिंग के दौरान भी बच्चों को नुकसान पहुंचाया गया है. ऐसी स्थिति में वह कैसे कह सकते हैं कि संरक्षक समान लिंग के होंगे, तो बच्चे सुरक्षित है. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार की ओर से हमें जो जवाब दिया गया है, उसमें बताया गया है कि जो मेंटॉर है, उनका पुलिस वेरिफिकेशन नहीं कराया गया है, बल्कि वह एक साइकोमेट्रिक जांच कर रहे हैं. वहीं उन्होंने इन जांच का कोई वैध प्रमाण नहीं दिया कि कहां हो रहा है ? इसके अलावा हमें यह बताया कि यह सारा कार्यक्रम दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी चला रही है. यदि कल किसी बच्चे के साथ कोई घटना गठित होती है, तो किसकी जिम्मेदारी होगी ? इस मामले पर दिल्ली सरकार शांत है.

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एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा कि हमें जवाब दिया गया कि हम बच्चों के पेरेंट्स से सहमति ले रहे हैं. यदि ऐसा है तो क्या यह लोग मेंटॉर के बारे में माता-पिता को जानकारी दे रहे हैं ? माता-पिता कानून की पेचीदगी नहीं समझते, उन्हें सब कुछ बताना होता है. इस कार्यक्रम में यह लोग बच्चों को टेलीफोन के माध्यम से जोड़ते हैं. इसके बाद क्या गारंटी है कि मेंटर बच्चों से नहीं मुलाकात करेगा ? एनसीपीसीआर में न जाने ऐसे कितने मामले हैं, जिनमें टेलीफोन पर ही बच्चों के साथ तमाम घटनाओं को अंजाम दिया गया. इन सभी खामियों के बाद दिल्ली सरकार के कार्यक्रम को रोकने को कहा गया है. इस मसले पर ही पिछले महीने आयोग ने दिल्ली के मुख्य सचिव को पत्र लिखा था और इस सप्ताह की शुरुआत में उसने फिर से पत्र लिखकर कहा था कि जो जवाब उसे मिला है, उसमें उपयुक्त तथ्य मौजूद नहीं हैं.