नई दिल्ली। दिल्ली के सरकारी स्कूल के बच्चों का करियर संवारने वाले देश के मेंटर कार्यक्रम को साजिश के तहत रोका जा रहा है. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को ये बातें कहीं. उन्होंने कहा कि भाजपा अपने ही कार्यकर्ताओं से शिकायत कराकर दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों का करियर संवारने वाले कार्यक्रम को बंद करा रही है. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम को रोकने के लिए बेहद हास्यास्पद आधार बनाया गया है. सिसोदिया ने बताया कि शिकायतकतार्ओं का कहना है कि पहले स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का पुलिस वेरिफिकेशन करवाया जाए, उसके बाद उन्हें करियर बनाने के टिप्स दें.
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मनीष सिसोदिया ने कहा कि IIT, IIM जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ने वाले युवा बच्चों के करियर को संवारने में मदद कर रहे हैं, लेकिन विरोध करने वालो का मानना है कि इससे साइबर क्राइम और चाइल्ड ट्रैफिकिंग बढ़ेगा. सिसोदिया ने कहा कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब परिवार के बच्चे अपने करियर के लिए पढ़े-लिखे युवाओं से गाइडेंस और मेंटरिंग पाकर कुछ बेहतर कर सकें, ये बात कुछ लोगों के लिए असहनीय हो गई है. ये लोग इस बात से घबरा रहे हैं कि देश में गरीब परिवारों के बच्चे अगर पढ़-लिख जाएंगे, तो नफरत का प्रोपोगैंडा कौन चलाएगा. उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार ने देश के पढ़े-लिखे युवाओं को शिक्षा के साथ जोड़ने के लिए देश के मेंटर प्रोग्राम की शुरुआत की थी, जिसकी सफलता से घबराकर साजिश कर इसे रुकवाने का प्रयास किया गया है.
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दिल्ली के शिक्षा मंत्री और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाले एनसीपीसीआर से ये आदेश दिलाया गया है कि दिल्ली सरकार इस कार्यक्रम को बंद कर दे. इसके लिए छतीसगढ़ के एक व्यक्ति से ये शिकायत डलवाई कि इस कार्यक्रम से बच्चों की सुरक्षा को खतरा है और एनसीपीसीआर ने इसे बंद करने का आदेश दे दिया. सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार शिक्षा के क्षेत्र में लगातार नए-नए इनोवेशन को अपना रही है. देश के मेंटर भी ऐसा ही एक इनोवेटिव प्रोग्राम है, जहां देश के वेल-एजुकेटेड युवा वॉलिंटियरिंग के माध्यम से सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब घरों के बच्चों को उनकी पढ़ाई व करियर के लिए मेंटरिंग करने का मौका दिया जाता है.
पढ़े-लिखे युवा कर रहे हैं बच्चों की मदद
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि सरकारी स्कूलों में बहुत से बच्चे ऐसे हैं, जिनके पेरेंट्स ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं और वो पढ़ाई के लिए अपने बच्चों को सही तरीके से गाइड नहीं कर पाते, इसलिए दिल्ली सरकार ने देश के पढ़े-लिखे युवाओं से आह्वान किया कि वो आगे आएं और सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे जिन्हें मेंटरिंग की जरूरत है, उन्हें हफ्ते में केवल 10 मिनट फोन कॉल के माध्यम से उनकी मदद करें.
दिल्ली सरकार के इस आह्वान पर 44,000 युवा इस कार्यक्रम से जुड़े. इनमें आईआईटी और आईआईएम से 1000 से ज्यादा युवा, ग्रेजुएशन से लेकर पीएचडी कर रहे 15,600 युवा और 7,500 वो युवा शामिल हैं, जो पढ़ाई पूरी कर किसी अच्छी जगह जॉब कर रहे हैं. इन युवाओं ने 1.76 लाख बच्चों की मेंटरिंग करना शुरू किया है.
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