नई दिल्ली। आईएएस अधिकारियों के स्थानांतरण को लेकर पश्चिम बंगाल की ममता सरकार और केंद्र की मोदी सरकार के बीच टकराव की स्थिति बन गई है। फिलहाल टीएमसी ने इस मुद्दे को संसद के बजट सत्र में उठाने का ऐलान किया है।
टीएमसी सांसद डोला सेल ने शुक्रवार को आईएएनएस से बातचीत में कहा, केंद्र में शासित बीजेपी सरकार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति (डेप्युटेशन) पर आईएएस-आईपीएस अधिकारियों का जिस तरह से ट्रांसफर करती रही है। जिस तरह से राज्य सरकारों के हक को मारती रही है। उसके खिलाफ हम देशभर में लड़ेंगे। संसद के बजट सत्र में भी इस मुद्दे को उठाएंगे।
डोला सेन ने कहा केंद्र सरकार जिस तरह से निजीकरण को नीति अपना रही है, हम इस मुद्दे को भी संसद से सड़क तक उठाएंगे। उन्होंने कहा पार्टी ने संसद सत्र पर रणनीति बनाने के लिए गुरुवार को एक बैठक बुलाई थी। बैठक में इन तमाम मुद्दों पर सहमति बनी है।
वहीं टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने शुक्रवार को कहा कि हम सत्र में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आईएएस अधिकारियों के स्थानांतरण का मुद्दा उठाएंगे, क्योंकि इससे राज्य सरकार की शक्तिभंग होगी और संघीय सिद्धांत प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि टीएमसी संसद के बजट सत्र में भी बंगाल के राज्यपाल के खिलाफ प्रस्ताव भी लायेगी।
दरअसल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर आईएएस कैडर नियम 1954 के प्रस्तावित संशोधन को वापस लेने की मांग की थी।
ममता बनर्जी ने केंद्र के इस प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा था कि केंद्र का ये प्रस्ताव सहकारी संघवाद (कोऑपरेटिव फेडरलिज्म) की भावना के खिलाफ है। ममता बनर्जी ने कहा है कि केंद्र का ये प्रस्ताव आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की पोस्टिंग के मामले में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच टकराव को बढ़ाएगा।
टीएमसी के अनुसार ये प्रस्ताव एकतरफा रूप से राज्य सरकारों को निर्देश है कि वे केंद्रीय प्रतिनियुक्तियों (डेप्युटेशन) के लिए अनिवार्य रूप से अफसरों की संख्या तय रखें। टीएमसी सत्र में इस प्रस्ताव को वापस लेने की मांग करेगी।
गौरतलब कि केंद्र सरकार ने हाल ही में आईएएस कैडर (नियम) में संशोधन के अपने प्रस्ताव पर राज्य सरकारों से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए आईएएस अधिकारियों की सूची भेजने को कहा था। इसी को लेकर बंगाल में सत्तारूढ़ टीएमसी ने नाराजगी जाहिर की है।