चंडीगढ़। ”जेल में 78 दिनों ने आत्मनिरीक्षण करने, खुद को समझने और आत्मचिंतन के लिए खाली समय देने का मौका दिया, जिससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिली. मैंने 7 किलो वजन भी कम किया.” दो बार के विधायक और भुलत्थ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के तेजतर्रार उम्मीदवार सुखपाल सिंह खैरा ने ये बयान दिया. जिन्हें एक दिन पहले पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय से नियमित जमानत मिली थी और पटियाला जेल से रिहा किया गया था. खैरा को 11 नवंबर 2021 को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज किए गए मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया था.

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जेल से रिहा होने के बाद खैरा ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ के कारण प्रतिद्वंद्वियों पर सलाखों के पीछे डालने का आरोप लगाया. खैरा ने अपनी रिहाई पर मीडिया से कहा कि “मुझ पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया है, जो कानून की प्रक्रिया को तोड़कर सत्ता और अधिकार का चौंकाने वाला दुरुपयोग है.” उन्होंने कहा कि उन पर राजनीतिक प्रतिशोध में कार्रवाई की गई. वे निरस्त किए गए तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के साल भर के आंदोलन के दौरान मुखर थे. उन्होंने कहा कि मैंने यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के खिलाफ भी आक्रामक तरीके से अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की प्रेरणा उन्हें उनके पिता सुखजिंदर सिंह से मिली है.

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सुखपाल सिंह खैरा ने कहा, “गुरचरण सिंह तोहरा जैसे अकाली नेताओं ने (प्रकाश सिंह) बादल की तुलना में जेल में अधिक समय बिताया था, जिन्होंने वास्तव में चार साल से अधिक समय नहीं बिताया था।” उन्होंने कहा, “मैं बादल से यह साबित करने के लिए कहता हूं कि उन्होंने जेलों में कितनी अवधि बिताई. उसकी अधिकांश जेल अवधि आरामदेह क्षेत्रों में थी, लेकिन मेरे पिता (सुखजिंदर सिंह) को त्रिपुरा, ओडिशा और दिल्ली की तिहाड़ जेल में एक साल से लेकर डेढ़ साल तक अलग-थलग कोठरियों में रखा गया था.” सुखजिंदर सिंह एक अकाली नेता थे और शिक्षा मंत्री बने. खैरा ने 1992 में कपूरथला के रामगढ़ गांव से पंचायत सदस्य के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया, लेकिन 2007 के विधानसभा चुनावों में भुलत्थ से वरिष्ठ अकाली नेता बीबी जागीर कौर को हराकर प्रसिद्धि प्राप्त की.

 

बीबी जागीर कौर को हराकर प्रसिद्धि पाई थी सुखपाल खैरा ने

2007 के विधानसभा चुनावों में भुलत्थ से अकाली दल की नेता बीबी जागीर कौर (एसजीपीसी अध्यक्ष चुनी जाने वाली पहली महिला) को हराकर प्रसिद्धि पाने वाले सुखपाल सिंह खैरा ने जनवरी 2019 में पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल के ‘तानाशाही’ रवैये का हवाला देते हुए आप से इस्तीफा दे दिया था और अपना खुद का संगठन पंजाब एकता पार्टी बना लिया. बाद में वह फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए थे.

मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत खैरा गए थे जेल

ईडी ने उन्हें 11 नवंबर 2021 को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया था. 19 नवंबर को उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. 2007 के विधानसभा चुनावों में भुलत्थ से अकाली दल की नेता बीबी जागीर कौर (एसजीपीसी अध्यक्ष चुनी जाने वाली पहली महिला) को हराकर प्रसिद्धि पाने वाले सुखपाल सिंह खैरा ने जनवरी 2019 में पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल के ‘तानाशाही’ रवैये का हवाला देते हुए आप से इस्तीफा दे दिया था और अपना खुद का संगठन पंजाब एकता पार्टी बना लिया. बाद में वह फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए थे.

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20 फरवरी को होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में खैरा के खिलाफ शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने फिर से एसजीपीसी अध्यक्ष चुनी गई पहली महिला बीबी जागीर कौर को खड़ा किया है. इससे पहले पिछले साल मार्च में केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस मामले के सिलसिले में चंडीगढ़ में खैरा से जुड़े आठ स्थानों और दिल्ली में उनके दामाद की संपत्ति पर भी तलाशी ली थी. सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस सिलसिले में 3.5 करोड़ रुपये के मनी ट्रेल का पता लगाया है. हालांकि, 1992 में कपूरथला के रामगढ़ गांव से पंचायत सदस्य के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू करने वाले खैरा ने किसी भी गलत काम से इनकार किया था. उनके वकील ने कहा था कि छापेमारी इसलिए की गई, क्योंकि खैरा ने किसानों के आंदोलन का समर्थन किया था. उन्होंने कहा कि उन्हें चुनाव नहीं लड़ने देने की साजिश रची गई. उन्होंने कहा कि वे सबकी पोल खोलेंगे.

 

केजरीवाल के खाते में गया पैसा- सुखपाल खैरा

सुखपाल सिंह खैरा ने कहा कि जिस फॉरेन फंडिंग की बात हो रही है, वह पैसा आम आदमी पार्टी के लिए आया था. वह विदेश गए थे, लेकिन बाद में सारा पैसा आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के खाते में गया.