रायपुर। पोस्ट आफिस बैंक से बैंकों में फण्ड ट्रांसफर की सुविधा एक स्वागत योग्य कदम है, साथ ही यदि सभी सभी जन धन खातों के कारोबार को भी पोस्ट ऑफिस बैंक में ट्रान्सफर कर दें तो सामान्य बैंक, ट्रेड व इंडस्ट्री के ग्राहकों को अच्छी व समय बध्य सुविधा उपलब्ध करवा सके.

सीए किशोर बरडिया एक तरफ बजट के इस बात का समर्थन करते हैं तो दूसरी ओर जब देश में रियल टाइम फण्ड ट्रांसफर की सुविधा 24/7 उपलब्ध है, तब डिजिटल कर्रेंसी को लांच करने की ओर सरकार का झुकाव पर सवाल उठाते हैं. उनका मानना है कि यह केवल सट्टेबाजी को प्रोमोट कर सकता है.

उन्होंने कहा कि Virtual digital assets (क्रिप्टोकरेंसी) आज हर देश की सरकार के गले की हड्डी बन गई है, उन्हें कुछ क़ानून के दायरे में लाने के कोशिश की गई है. इस पर 30% टैक्स प्रपोज़ किया गया है, लेकिन आने वाले समय में इस पर एक विस्तृत क़ानून की आवश्यकता होगी.

सीए बरडिया ने कहा कि एक करदाता की महत्वकांक्षा होती है कि बजट से उन्हें सीधा क्या फ़ायदा हुआ. इनकम टैक्स के स्लैब में कोई परिवर्तन नहीं होना एक आम करदाता के लिए निराशाजनक है, वहीं 1.50 लाख की कटौती को भी नहीं बढ़ाने से सैलरी अर्नर करदाता को भी अतिरिक्त कर भार का सामना करना पड़ता है.