नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी की ओर से पंजाब स्टार प्रचारकों की लिस्ट से बाहर किए जाने पर मनीष तिवारी ने कहा कि ‘आश्चर्य होता अगर मेरा नाम लिस्ट में होता’। वहीं पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे और पूर्व सांसद अभिजीत मुखर्जी ने इसे कांग्रेस की संकीर्ण सोच करार दिया है। दरअसल कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को पंजाब विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 30 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की थी। उसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद मनीष तिवारी और गुलाम नबी आजाद को शामिल नहीं किया गया है। इस पर पूर्व सांसद अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट कर कहा कि ऐसी संकीर्ण सोच से कांग्रेस चुनाव कभी नहीं जीत सकती है। दरअसल अभिजीत मुखर्जी पिछले साल ही कांग्रेस छोड़ तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
पंजाब चुनाव के लिए कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची से मनीष तिवारी का नाम गायब
पूर्व सांसद अभिजीत मुखर्जी ने इसे कांग्रेस की संकीर्ण सोच दिया करार
अभिजीत मुखर्जी ने ट्विटर पर कहा कि पंजाब के मामलों में कांग्रेस की स्थिति दुखद है, क्योंकि उन लोगों ने एक प्रमुख और वरिष्ठ कांग्रेस नेता, पंजाब के सांसद और पूर्व मंत्री मनीष तिवारी को पंजाब चुनाव में प्रचार करने के लिए बनी स्टार प्रचारकों की सूची से बाहर कर दिया है. इस तरह के संकीर्ण सोच वाले कदम कांग्रेस को चुनाव जीतने में कभी मदद नहीं करेंगे ! मुखर्जी के इसी ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए शनिवार को मनीष तिवारी ने उन्हें टैग कर कहा, “अगर यह दूसरी तरफ से होता तो मुझे सुखद आश्चर्य होता। ऐसा किए जाने की वजह भी अब गुप्त नहीं रही है, अभिजीत दा।”
मनीष तिवारी ने कहा- पंजाब में हिंदू-सिख कभी कोई मुद्दा नहीं रहा
इस पर फिर अभिजीत मुखर्जी ने लिखा, “भाई मनीष तिवारी हमारे लोग अपने वोट से ही ऐसी द्वीदलीय मानसिकता का एकमात्र जवाब दे सकते हैं! चाहे कुछ भी हो जाए, आप हमेशा अदम्य बने रहेंगे! आप हमेशा सबसे बेहतरीन सांसदों में से एक रहे हैं, जिन्हें मैंने देखा है और यही मेरे दिवंगत पिता की भी राय रही है।” मनीष तिवारी ने शनिवार को कहा, “मुझे आश्चर्य होता अगर मेरा नाम वहां होता, अब आश्चर्य नहीं कि यह वहां नहीं है। वजह तो सभी जानते हैं। जहां तक हिंदू-सिख का सवाल है, पंजाब में यह कभी कोई मुद्दा नहीं रहा। कभी मुद्दा होता तो श्री आनंदपुर साहिब से सांसद नहीं होता।” तिवारी ने कहा कि पंजाब में हिंदू और सिख में कोई अंतर नहीं है। यह सच है कि शायद उस समय सुनील जाखड़ को रोकने के लिए दिल्ली में बैठे किसी मठाधीश ने इतनी संकीर्ण मानसिकता का इस्तेमाल किया होगा।
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आनंदपुर साहिब से सांसद हैं मनीष तिवारी
गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी कांग्रेस में एक प्रमुख चेहरा हैं, जो पिछले साल जी -23 नेताओं द्वारा सोनिया गांधी को लिखे गए पत्र में हस्ताक्षरकतार्ओं में से एक थे। सूत्रों के अनुसार पंजाब में 40 प्रतिशत हिंदू आबादी और उत्तर प्रदेश और बिहार से बड़ी संख्या में प्रवासियों के साथ, तिवारी एक आदर्श विकल्प होते, क्योंकि वह न केवल हिंदू समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं, बल्कि उत्तर प्रदेश में अपनी जड़ों के कारण प्रवासियों के साथ भी तालमेल बिठाते हैं। आनंदपुर साहिब हमेशा से सिख धर्म का गढ़ रहा है और 2014 में पार्टी की वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी के असफल होने के बाद तिवारी ने 2019 में सीट जीती थी।
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उनके समर्थक उनके स्टार प्रचारकों की सूची से बाहर होने से खफा हैं और कह रहे हैं कि वे राज्य से लोक सभा के लिए चुने जाने वाले एकमात्र हिंदू नेता हैं, तिवारी की अनदेखी कर पार्टी क्या संदेश देने की कोशिश कर रही है। जब उनसे संपर्क किया गया, तो मनीष तिवारी ने कहा कि उनसे सवाल पूछे जाएं, जिन्होंने सूची तैयार की है. हालांकि, पार्टी ने सूची में कई गैर-सिख नेताओं के नाम शामिल किए हैं, जैसे आनंद शर्मा, (जो जी -23 के सदस्य भी थे) और अंबिका सोनी, सुनील जाखड़, भूपिंदर सिंह हुड्डा, अशोक गहलोत, रणदीप सिंह सुरजेवाला, राजीव शुक्ला, सचिन पायलट और कुमारी शैलजा जैसे अन्य. उनके समर्थक इस बात से नाराज हैं कि अमृता धवन, नेट्टा डिजौसा और अन्य का नाम भी सूची में है, जबकि मनीष तिवारी को जानबूझकर बाहर रखा गया है.
कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी होने की मिली सजा !
सूत्रों ने कहा कि मनीष तिवारी को पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का करीबी माना जाता है, जो कांग्रेस द्वारा स्टार प्रचारकों की सूची में उनका नाम नहीं लेने का एक कारण हो सकता है. यह विवाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी के 6 फरवरी को लुधियाना के दौरे से ठीक पहले शुरू हुआ, जहां उनके पंजाब में विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी के सीएम चेहरे की घोषणा करने की संभावना है. 117 सदस्यीय पंजाब विधानसभा में 20 फरवरी को मतदान होगा, जबकि मतों की गिनती 10 मार्च को होगी.
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