वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। संगीत में वो जादू है, जो गम को खुशी में बदल दे, बुझे दीपक को जला कर अंधेरे में रोशनी ला दे. बस जरूरी है उसकी साधना की. सिंधी सारंगी एक ऐसा वाद्य यंत्र है, जिसमें कुल 27 तार होते हैं. इससे निकलने वाली धुनें सीधे दिल को छू जाती हैं. यह बात सिंधी सारंगी वादक राजेश परसरामानी ने कही.

सारंगी में विश्वरिकार्ड बना चुके बिलासपुर निवासी राजेश कुमार परसरामानी विशेष हैं. 34 वर्षीय नेत्र बाधित राजेश का बचपन से ही संगीत के प्रति झुकाव रहा, और सारंगी उन्हें बहुत पसंद था. वजह इसके वादक बहुत कम है. सारंगी का अर्थ है, सौ रंगी इसमें जीवन के हर एक रंग है. नेत्र बाधित राजेश जीवन के रंग तो नहीं देख सके, इसलिए सारंगी के इन्हीं सौ रंगों से अपना जीवन संवारने की ठानी.

राजेश परसरामानी ने जयपुर घराने के उस्ताद साबिर खान साहब से इसकी शिक्षा ली. उस्ताद साबिर खान पद्मश्री से सम्मानित मोइनुद्दीन खान के बड़े बेटे हैं. भारतीय शास्त्रीय संगीत में गुरू-शिष्य परंपरा के अन्तर्गत सारंगी सीख रहे हैं. उनका कहना है, कि सीखना जीवन पर्यन्त चलता रहता है. सारंगी का एक विस्तृत परिवार है, सारंगी का विभाजन बहुत बड़ा है.

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राजेश ढाई पसली सारंगी और सिंधी सारंगी दोनों बजाते हैं. उन्होंने बताया कि अब तक सारंगी का न तो मानकीकरण हुआ है, न ही सारंगी पर कोई किताब उपलब्ध है. उन्होंने सारंगी पर विस्तृत अध्ययन किया है, उनके पास खुद के नोट्स हैं. गांव में बजने वाली चिकारी से लेकर शास्त्रीय संगीत में बजने वाली सारी सारंगियो को अपने ने समेट लेती है.

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देखिए वीडियो :

https://youtu.be/sQnKDY1dW8A

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