सुप्रिया पांडेय, रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखते हुए पांच कार्यदिवस तय किया है, लेकिन अब इस फैसले के खिलाफ ही कर्मचारी खड़े नजर आने लगे हैं. वजह है कि सरकार की ओर से सुबह 10 बजे कार्यालय में उपस्थित होने के फरमान को मानने में वे असमर्थ हैं.

कर्मचारी नेता विजय झा ने लल्लूराम डॉट कॉम से चर्चा में कहा कि अधिकारियों-कर्मचारियों के कार्यालय आने का समय 10 बजे कर दिया गया है, जिसका हम विरोध करते हैं. हम सब इतनी जल्दी दफ्तर आने में सक्षम नहीं हैं. हमारी मांग है कि 10.30 तक ही समय निर्धारित किया जाए. भले 5.30 की जगह हमें 6 बजे छुट्टी दे. कर्मचारी नेता यहीं नहीं रुके उन्होंने तो सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कह दिया कि हमने 5 दिन कार्यदिवस की मांग नहीं की थी.

कर्मचारी नेता विजय झा का बयान कलेक्टोरेट में बुधवार सुबह 10 बजे नजर आने तस्वीर को बयां करता है. कलेक्टोरेट में काम करने वाले करीबन 100 कर्मचारियों में से कमोबेश 50 प्रतिशत ही उपस्थित थे. हकीकत स्वयं कलेक्ट्रेट के प्रभारी अधीक्षक आरके रात्रे बयां करते हुए बताया कि लगभग 100 कर्मचारी यहां काम करते हैं, जिसमें से आधे लोग अनुपस्थित हैं, जिन पर कार्रवाई करवाई जाएगी. सभी को निर्धारित समय पर दफ्तर आना अनिवार्य है.

अब सवाल यह है कि जब सरकार के फैसले से जब कर्मचारी ही सहमत नहीं हैं, तो फिर फैसले का क्या औचित्य है. वहीं दूसरी ओर पांच कार्यदिवस से आम लोगों की परेशानी बढ़ गई है. पहले ही सरकारी ढर्रे से हो रहे काम से हफ्तों का काम महीनों में, महीनों का काम सालों में हो रहा है, ऐसे में अब पांच कार्यदिवस से लंबित प्रकरणों का क्या हाल होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.

लल्लूराम डॉट कॉम ने कलेक्टोरेट में पहुंचे लोगों से चर्चा की तो उनका गुस्सा उभर आया. अपनी शिकायत लेकर पहुंचे बुजुर्ग बृजमोहन तिवारी ने कड़े शब्दों में कहते हैं कि ये इनको सप्ताह में पांच दिन की भी छुट्टी दे दी जाए तो भी ये दो दिन समय पर काम पर नहीं आ सकते हैं. पता नहीं सरकार ने क्या सोचकर यह कदम उठाया है.

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वहीं अनुपम जायसवाल कहते हैं कि कार्यालयों में वैसे ही सालों-साल केस लंबित पड़े रहते हैं, जिनकी वजह से आम लोग परेशान हैं. अब पांच कार्यदिवस से क्या हाल होगा, यह सोचकर भी सिहरन पैदा हो जाती है. अब तो फाइल को लटकाए रखने का उन्हें नया बहाना मिल गया है. अब तो भगवान ही व्यवस्था का मालिक है.

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