चेन्नई। हिंदू मुन्नानी ने मद्रास उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है, जिसमें कहा गया है कि तमिलनाडु सरकार अतिक्रमण हटाने के अभियान के दौरान जानबूझकर मंदिरों को निशाना बना रही है। जनहित याचिका में हिंदू मुन्नानी के प्रवक्ता टी. एलंगो ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत अतिक्रमण हटाते हुए हाल के महीनों में अधिकारियों द्वारा लगभग 200 मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया था।

उन्होंने कुछ मंदिरों का हवाला दिया, जिन्हें बेदखल कर दिया गया और उचित स्वामित्व विलेख के बिना ‘पोरम्बोक’ भूमि पर निर्मित धार्मिक संरचनाओं के नियमितीकरण या पुनर्वास के लिए एक योजना की मांग की।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि मंदिरों का विध्वंस हिंदुओं और हिंदू मंदिरों के खिलाफ भेदभाव का एक शुद्ध कार्य था और पूरी राज्य मशीनरी इस पर खमोश थी।

मद्रास उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति भारत चक्रवर्ती ने याचिकाकर्ता को बेदखली पर एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

तमिलनाडु सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) जे. रवींद्रन ने स्पष्ट किया कि सरकार ने कोई भेदभाव नहीं दिखाया और राज्य में विविधता में एकता के सिद्धांत का पालन किया जा रहा है।