नई दिल्ली। करीब 46 साल के बाद एक बार फिर से दिल्ली से लंदन के लिए बस सेवा शुरू होने जा रही है. ये बसें आधुनिक सुविधाओं से लैस होंगी. भारत-म्यांमार सीमा पर आवाजाही सामान्य होने के साथ इसे शुरू कर दिया जाएगा. उम्मीद है कि इसी साल सितंबर में पहली बस अपनी मंजिल के लिए रवाना हो जाएगी. इसके संभव होने से 46 साल बाद यह दूसरा मौका होगा, जब लोगों को दिल्ली से लंदन के लिए बस सेवा का लुत्फ उठाने का मौका मिलेगा. इसके करीब 15 लाख के पैकेज में सफर का टिकट, वीजा और अलग-अलग देशों में ठहरने की सुविधा सरीखी सभी सेवाएं शामिल हैं.
1957 में शुरू हुई थी दिल्ली-लंदन-कोलकाता के बीच बस सेवा
दरअसल, एक ब्रिटिश कंपनी ने 1957 में वाया दिल्ली लंदन-कोलकाता के बीच बस सेवा की शुरुआत की थी. कुछ वर्ष बाद बस के दुर्घटनाग्रस्त होने पर एक ब्रिटिश यात्री ने डबल डेकर बस बनाकर दोबारा सिडनी-भारत-लंदन के बीच बस सेवा शुरू की, जो 1976 तक चलती रही. उस वक्त ईरान के अंदरूनी हालात और भारत-पाकिस्तान के बीच के तनाव की स्थिति को देखते हुए बंद कर दिया गया. एक बार फिर भारत की एक निजी कंपनी इस दिशा में काम कर रही है. जिस वजह से पुरानी बस सेवा बंद हुई थी, उससे बचने के लिए बस का पुराना रूट बदल दिया गया है. पाकिस्तान और अफगानिस्तान की जगह अब इसे म्यांमार, थाईलैंड, चीन, किर्गिस्तान होने हुए फ्रांस तक ले जाएगा. इंग्लिश चैनल पार करने के लिए क्रूज का सहारा लिया जाएगा. एडवेंचर्स ओवरलैंड की ओर से बस टू लंदन की पहल के तहत 70 दिनों में करीब 20 हजार किलोमीटर की दूरी तय करते हुए 18 देशों का भी सफर कर सकते हैं.
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कंपनी ने 2017 से 2019 के बीच छोटे और लग्जरी गाड़ियों के साथ रूट का ट्रायल भी किया है. हालांकि कोरोना के कारण पिछले करीब दो साल से काम रुक गया. फ्रांस और लंदन के बीच फेरी सेवा के जरिये बस को फ्रांस के कैले से यूके के डोवर तक ले जाया जाएगा। इसे पार करने में करीब दो घंटे का वक्त लगेगा। इसके बाद बस में सवार यात्री लंदन के लिए रवाना होंगे.
आपको मिलेंगी कई अत्याधुनिक सेवाएं
पुरानी बस की तरह नई बस में भी 20 सीट की होगी. हर यात्री के लिए अलग से केबिन होगा. इसमें खाने-पीने से लेकर सोने तक की सुविधाएं होंगी. इस बस में सफर करने वालों के लिए वीजा सहित सभी जरूरी दस्तावेजों के साथ यात्रा का मौका मिलेगा.
दिल्ली से कोलकाता फिर म्यांमार
दिल्ली से वाया कोलकाता बस म्यांमार पहुंचेगी. इसके बाद थाईलैंड, लाओस, चीन, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, रूस, लतविया , लिथुआनिया, पोलैंड, चेक गणराज्य, जर्मनी, नीदरलैंड, बेल्जियम, फ्रांस के बाद लंदन पहुंचेगी. इससे पहले 15 अप्रैल 1957 को लंदन से 20 यात्रियों के साथ कोलकाता के लिए बस रवाना होकर 5 जून को कोलकाता पहुंची. यह बस दो अगस्त 1957 को लंदन लौटी. भारत पहुंचने से पहले फ्रांस, इटली, यूगोस्लाविया, बुल्गारिया, तुर्की, ईरान और पाकिस्तान से होकर गुजरी. कुछ समय बाद बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई. बाद में इसे एक ब्रिटिश यात्री एंडी स्टीवर्ट ने खरीद लिया. इसे डबल-डेकर का रूप दिया गया. वहीं, सिडनी तक रूट का विस्तार भी किया गया. 8 अक्तूबर, 1968 को सिडनी से लंदन तक भारत के रास्ते इसी से यात्रा की गई. बस को लंदन पहुंचने में करीब 132 दिन लगे थे.
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18 देशों की यात्रा का मिलेगा मौका
परिवहन क्षेत्र के विशेषज्ञ पीके सरकार के मुताबिक पहले कोलकाता से लंदन के लिए बस सेवा थी. दोबारा शुरू होने से यात्रियों को काफी राहत मिलेगी. इससे यात्रियों को लंदन सहित कई और देशों में भ्रमण का मौका मिलेगा. रास्ते में इंग्लिश चैनल को पार करने के लिए क्रूज की सुविधा है. इस बस सेवा की शुरुआत से खासतौर पर पर्यटकों को काफी मौका मिलेगा. हम पुराने इतिहास को दोहराना चाहते हैं. कोविड की पाबंदियों की वजह से अभी म्यांमार और चीन की सीमाओं पर आवाजाही सामान्य नहीं है. इसके खुलने का इंतजार है. अगर अगस्त तक सीमा पर आवाजाही सामान्य होती है, तो सितंबर तक बस सेवा शुरू हो जाएगी.
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