दिल्ली। देशभर में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या करीब 10 लाख तक पहुंच चुकी है। केंद्र सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए हाइब्रिड स्कीम अपना रही है। देश में हाइब्रिड एवं इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत की गई है। साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जरों और चार्जिग स्टेशनों पर जीएसटी दर 18 प्रतिशत से घटा कर 5 प्रतिशत की गई है। इस समय देशभर में 966,363 इलेक्ट्रिक वाहन सड़कों पर हैं। डिजिटाइज्ड वाहन रिकॉर्ड के लिए दिए गए हैं और आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना तथा लक्षद्वीप के लिए डाटा उपलब्ध नहीं कराए गए हैं, क्योंकि वे केंद्रीकृत वाहन-4 में नहीं हैं।
हाइब्रिड एवं इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने अखिल भारतीय आधार पर 2015 से इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने और विनिर्माण (हाइब्रिड एवं) स्कीम (फेम इंडिया) आरंभ की। वर्तमान में फेम इंडिया स्कीम के दूसरे चरण को कुल 10,000 करोड़ रुपये की बजटीय सहायता के साथ पहली अप्रैल, 2019 को पांच वर्षों की अवधि के लिए कार्यान्वित किया जा रहा है।
राज्यसभा में केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने एक लिखित उत्तर में बताया कि सरकार ने देश में बैटरी की कीमतों में कमी लाने के लिए देश में ही एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (एसीसी) के विनिर्माण के उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को मंजूरी दी है। बैटरी की कीमतों में कमी आने का परिणाम इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत में कमी के रूप में आएगा।
इलेक्ट्रिक वाहनों को ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत कवर किया जाता है। इसे 25,938 करोड़ रुपये की बजटीय सहायता के साथ 15 सितंबर, 2021 को पांच वर्षों की अवधि के लिए मंजूरी दी गई।
इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी दर 12 प्रतिशत से घटा कर 5 प्रतिशत की गई, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जरों और चार्जिग स्टेशनों पर जीएसटी दर 18 प्रतिशत से घटा कर 5 प्रतिशत की गई।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने घोषणा की है कि बैटरी चालित वाहनों को हरे रंग के लाइसेंस प्लेट दिए जाएंगे तथा उन्हें परमिट संबंधी आवश्यकताओं से छूट दी जाएगी।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने राज्यों को इलेक्ट्रिक वाहनों से सड़क कर माफ करने का परामर्श देते हुए एक अधिसूचना जारी की जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों की आरंभिक लागत में कमी लाने में सहायता मिलेगी।