पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। एक तरफ राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण रोजगार की तलाश में पलायन करके अन्य प्रदेश न जाएं इसके लिए ग्राम पंचायत के सचिव से लेकर आला अफसरों तक को गांव -गांव में रोजगार मूलक कार्य उपलब्ध कराने के निर्देश दिए है, और प्रत्येक सप्ताह बकायदा जिला और जनपद स्तर मे समीक्षा भी अधिकारियों के द्वारा किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर जिले के लोग पलायन कर रहे हैं. आलम यह है कि गांव की गलियां सूनी हो गई है, घरों में गिनती के ही लोग बचे हैं.

गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर क्षेत्र के ग्राम अमली से लगभग 120 ग्रामीण वह भी विशेष पिछड़ी जन जाति कमार आदिवासी रोजगार की तलाश में आंध्रप्रदेश, हैदराबाद के ईंट भट्टों में काम करने के लिए डेढ़ माह पहले ही गांव को छोड़कर चले गये हैें, और इन पलायन कर गये ग्रामीणों के घरों के सामने दरवाजे को ग्रामीणों के द्वारा ईंट से पूरी तरह बंद कर दिया गया है, कहीं ताले लगे हुए हैं.

तहसील मुख्यालय मैनपुर से लगभग 40 किमी दूर ग्राम पंचायत इंदागांव और उसके आश्रित ग्राम अमली जो इंदागांव से 15 किमी दूर पहाड़ी के ऊपर बसा हुआ है. जंगलों के घिरे यहां निवास करने वाले कमार जनजाति के लोग अभाव और परेशानियों के बीच जिंदगी गुजारने के लिए एक तरह आदि हो गये हैं. उनकी जरूरत बेहद सीमित है. ये ग्रामीण दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए मैनपुर मुख्यालय के बाजार तक बमुश्किल पहुंचते रहे हैं. ऐसे मे यदि पेट की आग बुझाने जंगल को छोड़कर आंध्रप्रदेश तक पहुंच गये हैं, तो यह बात सरकारी मशीनरी के लिए कई सवाल खड़े कर रही है.

ग्राम पंचायत इंदागांव के आश्रित ग्राम अमली के ही विशेष पिछड़ी कमार जनजाति से पहली बार इंदागांव के सरपंच चुने गये रजमन नेताम ने मैनपुर पहुंचकर बताया कि ग्राम अमली से आधे लोग पलायन कर गये हैं. 20 -25 घरों में ताला लगा है. इसकी जानकारी उन्होंने एक माह पहले ही सचिव मनोज साहू के माध्यम से जनपद में देने को कहा था. सरपंच के अनुसार, कमार जनजाति के 150 लोग पलायन कर आंध्रप्रदेश चले गये हैं. सरपंच ने बताया कमार विकास परियोजना के तहत कोई भी विकास कार्य और योजना का लाभ ग्राम अमली के कमार जनजाति के लोगों नहीं मिल रहा है.

ईंट भट्ठा मालिकों ने बना लिया था बंधक

दो साल पहले भी मैनपुर क्षेत्र के ग्राम अमली सहित आसपास दर्जनों गांव से हजारों की संख्या में ग्रामीणों का पलायन आंध्रप्रदेश हुआ था, जहां के ईंट भट्टों में इन्हें बंधक बनाकर रखा गया था. जिले के तत्कालीन कलेक्टर श्याम धावड़े के विशेष प्रयास से गरियाबंद और आंध्रप्रदेश पुलिस की संयुक्त टीम ईंट भट्टों में छापा मार-मारकर मैनपुर उनके घरों तक पहुंचाने में प्रशासन के हाथ-पांव फूल गये थे.

ओडिशा के दलाल आये और ले गये

शासन-प्रशासन की कवायद को धत्ता बताते हुए इस बार भी ओडिशा से दलाल आए, पैसों का लालच दिया और आंध्रप्रदेश लेकर चले गए. ग्राम पंचायत इंदागांव के सचिव मनोज साहू ने बताया कि ग्राम अमली से हर साल लोग पलायन करते हैं. यह उनकी आदत है, जबकि इस गांव मे कई मनरेंगा योजना के तहत कार्य चल रहे है. उन्होंने बताया 60 -70 लोग पलायन कर गये हैं. ग्राम अमली की जनसंख्या 260 के आसपास है.

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जनपद सीईओ भी मान रहे मामला गंभीर

जनपद पंचायत मैनपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रूपकुमार ध्रुव ने बताया कि ग्राम पंचायत सचिव मनोज साहू के माध्यम से पता चला है कि ग्राम अमली से कमार जनजाति के लोग पलायन कर आंध्रप्रदेश ईंट भट्टे मे काम करने गये हैं. उन्होंने बताया मनरेगा योजना के तहत ग्राम पंचायत इंदागांव एवं उसके आश्रित ग्राम अमली मे कई कार्य चल रहे हैं. तालाब, भूमिसुधार का कार्य जब गांव मे काम मिल रहा है, तो दूसरे प्रदेश पलायन कर जाना गंभीर मामला है.

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