रायपुर. आज का पंचांग -दिनांक 17.02.2022 शुभ संवत 2078 शक 1943 सूर्य उत्तरायण का फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि रात्रि को 10 बजकर 35 मिनट तक दिन गुरूवार मघा नक्षत्र रात्रि 04 बजकर 12 मिनट तक आज चंद्रमा सिंह राशि में आज का राहुकाल दोपहर को 01 बजकर 43 मिनट से 03 बजकर 09 मिनट तक रहेगा.
बारह राशियों पर गुरु वार्धक्य काल का क्या प्रभाव पडेगा इसे जानते है –
मेष राशि – मेष राशि वालों के लिए गुरु नवम व बारहवें भाव का स्वामी होता है. नवम भाव से गुरुजन, धर्म व भाग्य का आंकलन किया जाता है. गुरु अस्त होने पर इन सभी क्षेत्रों में कमी देखी जा सकती है. बारहवें भाव से मोक्ष, धार्मिक आश्रम अथवा धर्म संबधी कोई भी संस्था, खर्चा, अस्पताल आदि को देखा जाता है. गुरु अस्त होने पर इस भाव के शुभ फ़ल रुक जाएंगे लेकिन अशुभ फ़ल अपना प्रभाव दिखा सकते हैं. उपाय-ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवे नम: का एक माला जाप कर दिन की शुरूआत करें. मंदिर के पुजारी या शिक्षक को पीला वस्त्र, धार्मिक पुस्तक या पीले खाद्य पदार्थ दान करें.
वृष राशि – वृष राशि के लिए गुरु दो बुरे भावों का स्वामी होता है – आठवां व एकादश भाव. आठवां भाव शुभ नहीं माना जाता है लेकिन इस भाव से जो शुभ फ़ल देखे जाते हैं जैसे – जमीन से नीचे की वस्तुएं, रिसर्च संबधी काम अथवा अचानक मिलने वाला धन भी यही से देखा जाता है. यदि गुरु अस्त हो जाता है तब इनसे संबंधित बातों में कमी आ सकती है. गुरु एकादश भाव का स्वामी होता है तो अस्त होने से बडे भाई/बहनों के साथ संबध बिगड जाते हैं. आय साधनों में रुकावट देखी जा सकती है. उपाय-ॐ गुं गुरवे नम: का जाप करें. बादाम या नारियल पीले कपड़े में बांधकर नदी/नहर में प्रवाहित करें.
मिथुन राशि – मिथुन राशि के लिए गुरु सप्तम व दशम भाव का स्वामी होता है. सप्तम भाव से साझेदारी व वैवाहिक संबधों को देखा जाता है और दशम भाव से व्यवसाय का आंकलन किया जाता है। गुरु अस्त के प्रभाव से वैवाहिक जीवन तनाव भरा महसूस हो सकता है। जो लोग साझेदारी में बिजनेस करते हैं तो बिजनेस में भी तनाव देखा जा सकता है अथवा बिजनेस को लेकर उनमें वैचारिक मतभेद इस समय उभर सकते हैं. उपाय-गुरुवार के दिन पीपल के पेड़ में बृहस्पति के बीज मंत्र जपते हुए जल अर्पण करें.
कर्क राशि – कर्क राशि के लिए गुरु छठे व नवम भाव का स्वामी होता है. छठे भाव से नौकरी, ॠण, मामा पक्ष के लोगों का विचार किया जाता है. गुरु अस्त होने से ननिहाल, ऋण रोग जैसे क्षेत्र प्रभावित हो सकता है. व्यक्ति नौकरी से संतुष्ट नही हो पाता है. आय कम तो व्यय ज्यादा हो सकते हैं और कर्जा भी चढ सकता है. नवम भाव से संबधित फ़लों में कमी आ सकती है. धार्मिक कार्यों से विमुख हो सकते हैं अथवा गुरु या गुरु समान व्यक्ति का अनादर भी कर सकते हैं. उपाय-अपने घर में पीले पुष्प गमलों में लगाएं. केले की पूजा करें और लड्डू या बेसन की मिठाई चढ़ाएं.
सिंह राशि – सिंह राशि के लिए गुरु पांचवें व अष्टम भाव का स्वामी होता है. पंचम भाव से शिक्षा तथा संतान का आंकलन किया जाता है. गुरु अस्त होने से शिक्षार्थियों को शिक्षा क्षेत्र में और विद्यार्थियों को पढाई संबंधित रुकावटों का सामना करना पडता है. अष्टम भाव से गुप्त बातों का ध्यान किया जाता है. गुरु अस्त होने पर इस भाव से जो शुभ फ़ल देखे जाते हैं, जैसे – जमीन से नीचे की चीजें, रिसर्च संबधी काम अथवा अचानक मिलने वाला धन भी यही से देखा जाता है तब गुरु अस्त के कारण इन सभी बातों से संबंधित फ़लों में कमी आएगी. उपाय-विष्णु की पूजा आराधना करें. बेसन के लड्डू का भोग लगाएं. इस उपाय से गुरु ग्रह के दोष दूर होते हैं.
कन्या राशि – कन्या राशि के लिए गुरु चतुर्थ भाव तथा सप्तम भाव का स्वामी होता है. चतुर्थ भाव से घर का सुख, जमीन, मकान, माता आदि का विचार किया जाता है. गुरु अस्त होने पर इन सभी बातों में कमी आ सकती है. व्यक्ति की सुख की नींद हराम हो सकती है. सप्तम भाव से साझेदारी देखी जाती है, चाहे वह वैवाहिक साझेदारी हो अथवा व्यापार संबधी साझेदारी हो, इन दोनों में ही परेशानियां देखी जा सकती हैं. उपाय-शिक्षक, विद्वान, का दिल न दुखाएं. गुरु मंत्र का जप करें- मंत्र- ॐ बृं बृहस्पते नम:. मंत्र जप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए.
तुला राशि – तुला राशि के लिए गुरु तीसरे व छठे भाव का स्वामी होता है. तीसरे भाव से छोटे भाई/बहन, व्यक्ति के शौक, पराक्रम व साहस तथा कला संबंधी काम देखे जाते हैं. यदि गुरु अस्त हो गया तो इन सभी में कमी देखी जा सकती है अथवा इनसे संबंधित व्यक्तियों से मन-मुटाव हो सकता है. व्यक्ति के पराक्रम में भी कमी देखी जा सकती है. छठे भाव से नौकरी आदि में असंतुष्टि देखी जाती है. गुरु छठे का स्वामी होकर ननिहाल पक्ष के लोगों से दूरी बना सकता है. कर्जा लेना पड सकता है अथवा बीमारी आदि में पैसा खर्च हो सकता है. उपाय-भगवान विष्णु के सामने घी का दीपक जलाएं. इसके बाद विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें. बृहस्पतिवार के दिन फलाहार वृक्ष लगाएं और फलों का दान करें.
वृश्चिक राशि – वृश्चिक राशि के लिए गुरु दूसरे व पंचम भाव का स्वामी होता है. गुरु अस्त होने पर धनाभाव अथवा धन का आगमन रुका सा देखा जा सकता है. वाणी की मिठास कम हो सकती है. व्यक्ति की कुटुम्ब के अन्य लोगों से अनबन देखी जा सकती है. पंचम भाव से वही ऊपर लिखित परेशानियां जैसे संतान सुख में कमी आदि देखी जा सकती है. पढाई में मन नहीं लगने जैसी बातें हो सकती हैं. उपाय- हल्दी की गांठ या केला-जड़ को पीले कपड़े में बांह पर बांधें. ऊँ श्रीं श्रीं गुरवे नम: का जाप करें.
धनु राशि – इस राशि के लिए गुरु लग्न व चतुर्थ भाव का स्वामी है, जिससे व्यक्ति की जिन्दगी कुछ समय के लिए रुकी सी हो सकती है. लग्न का स्वामी अगर अस्त हो गया तो व्यक्ति सुस्त देखा जा सकता है अर्थात हर काम में आलस्य कर सकता है. चतुर्थ भाव से सुख देखा जा सकता है, तो इस समय व्यक्ति सुख का अनुभव शायद ही कर पाए. माता से भी मनमुटाव हो सकता है तथा घर में कलह भी हो सकता है. उपाय-मन्दिर में या किसी धर्म स्थल पर नि:शुल्क सेवा करनी चाहिए. घर में धूप-दीप दें. प्रतिदिन प्रात: और रात्रि को कर्पूर जलाएं.
मकर राशि – मकर राशि के लिए गुरु तीसरे व बारहवें भाव का स्वामी होता है और जब गुरु अस्त होता है. तब व्यक्ति के साहस व पराक्रम में कमी आती है. कुछ समय के लिए व्यक्ति सुस्त हो सकता है और यदि उसके छोटे भाई-बहन भी हैं. तब उनके साथ वैचारिक मतभेद उभर सकते हैं. बारहवें भाव का स्वामी होने से व्यक्ति के व्यय बढ सकते हैं. व्यक्ति अगर किसी धार्मिक संस्था से जुडा है तो वहां से अरुचि हो सकती है. उपाय- बृहस्पति के दोषों के निवारण के लिए शिव सहस्त्र नाम जप, गऊ और भूमि का दान तथा स्वर्ण दान करने से अरिष्ट शांति होती है.
कुम्भ राशि – कुंभ राशि के लिए गुरु दूसरे व एकादश भाव का स्वामी होता है. दूसरे भाव से संचित धन को देखा जाता है और एकादश भाव से अर्जित धन को देखा जाता है. यदि गुरु अस्त होता है तब धन का आगमन कम होने की संभावना बनती है. दूसरे भाव से कुटुम्ब भी देखा जाता है तो व्यक्ति कुटुम्ब से कटा सा रह सकता है. आंखों से जुड़ी बिमारियां उभर सकती है अथवा दाएं कंधे में कोई बीमारी भी उभर सकती है. उपाय-गुरूवार की पूजा में गंध, अक्षत, पीले फूल, पीले पकवान, पीले वस्त्र अर्पित कर गुरू का मंत्र के जप कराएं – ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः
मीन राशि – मीन राशि के लिए गुरु लग्न व दशम भाव का स्वामी होता है. लग्न का स्वामी अगर अस्त होता है, तो आत्मविश्वास में कमी देखी जा सकती है. व्यक्ति द्वारा किए प्रयासों में भी कमी आ सकती है और व्यक्ति में आलस्य का भाव भी देखा जा सकता है. दशम भाव से व्यक्ति का कार्यक्षेत्र देखा जाता है तो गुरु अस्त होने से कार्यक्षेत्र में मन कम लगता है. किसी कार्य में वृद्धि के स्थान पर कमी देखी जा सकती है. उपाय-प्रात: को ब्रम्ह वृहस्पताये नम: का जाप करे. गुढ़हल के फूल को देवताओं को अर्पित करें.
पंडित- प्रिय शरण त्रिपाठी, ज्योतिषाचार्य