कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। ग्वालियर शहर में बनने वाली 300 करोड़ की स्मार्ट सड़क ( Gwalior first smart road) के नामकरण का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। आज हिंदू महासभा ( Hindu Mahasabha) ने स्मार्ट रोड के 11 स्थानों पर वीर सावरकर मार्ग नाम से पट्टिकाएं लगा दी तो वहीं इस बीच मराठा समाज भी मैदान में आ गया है। मराठा समाज (Maratha Society) महादजी सिंधिया ( Mahadji Scindia) के नाम से इस रोड़ का नाम चाहता है। दूसरी ओर वीर सावरकर ( Veer Savarkar) मार्ग नाम पर कांग्रेस भी विरोध दर्ज करा रही है। कांग्रेस पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया (Former Union Minister Madhavrao Scindia), जवाहरलाल नेहरू, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ( Father of the Nation Mahatma Gandhi) के नाम पर मार्ग करने की बात कह रही है। वैसे इस सड़क के अनेकों नाम है, जो चर्चाओं में है। पहले थीम रोड़, फिर राजपथ रोड, उसके बाद वीर सावरकर ओर अब महादजी सिंधिया के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया, जवाहरलाल नेहरू और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी शामिल हो गए है।

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ग्वालियर की पहली स्मार्ट सड़क ( Gwalior first smart road) आकार ले रही है। वैसे-वैसे उसके साथ विवादों का सिलसिला शुरू हो गया है। यह विवाद उसके नाम से जुड़ा हुआ है। पहले थीम रोड़, फिर राजपथ रोड़, उसके बाद वीर सावरकर ओर अब महादजी सिंधिया सहित अन्य नाम सामने आ रहे हैं। महादजी सिंधिया नाम मराठा समाज के द्वारा प्रस्तावित किया गया है।

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मराठा समाज का कहना है कि सिंधिया परिवार ने ही ग्वालियर शहर को बसाने का काम किया था। इसके मुख्य किरदार यानी शासक महादजी सिंधिया हैं ओर उनकी मूर्ति भी इसी रोड पर मौजूद है। लिहाजा इस सड़क  का नाम उनके नाम से होना चाहिए। जबकि कांग्रेस वीर सावरकर के नाम पर आगबबूला नजर आ रही है।

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स्मार्ट सड़क पर हिंदू महासभा ने वीर सावरकर से नाम से लगाई पट्टिकाएं 

वीओ-300 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली ग्वालियर की स्मार्ट रोड के साइन बोर्ड पर पहले तो हिंदू महासभा ने कालिख पोती ओर आज उस रोड के 11 स्थानों पर वीर सावरकर के नाम से पट्टिकाएं भी लगा दी है। एक दो नहीं बल्कि दर्जनों हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओ ने यह पट्टिकाएं लगा दी। वहीं पुलिस मूकदर्शक बनी उन्हें देखती रही। बेखौफ होकर हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं ने पुलिस की मौजदूगी में पट्टिकाएं लगा दी।

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दामोदर सावरकर के नाम पर होगा सड़क का नामः सांसद 

मामले में भारतीय जनता पार्टी की ओर से सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का भी बयान सामने आया है। शेजवलकर ने कहा कि जब वह ग्वालियर के महापौर रहे उनका कार्यकाल वर्ष 2010 में पूरा हो गया था। ऐसे में कब तक कोई विवाद सामने नहीं आया लेकिन उस मार्ग के नाम को लेकर गजट नोटिफिकेशन वीर सावरकर के नाम से है। ऐसे में मार्ग का नाम स्वतंत्र वीर विनायक दामोदर सावरकर के नाम से ही होना चाहिए। किसी भी समाज या पार्टी को वीर सावरकर के नाम से कोई आपत्ति है तो वह इसको लेकर सही स्थान पर अपनी आपत्ति दर्ज कराएं। खोखली राजनीति ना करें।

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सड़क के बारे में फैक्ट फाइल 

  • 26 जनवरी 2011 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसी रोड़ का वीर सावरकर मार्ग के नाम से भूमि पूजन किया था। इसकी शिलापटि्टका कटोराताल पर क्षतिग्रस्त हालत में लगी है।
  • 2012 में इस रोड़ का निर्माण गुलाबी जयपुरी पत्थर के जरिये पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता ने करवाया।नाम थीम रोड दिया गया।
  • अब चेतकपुरी गेट पर एक गैलेंट्री लगी है, जिस पर इस रोड़ का नाम राजपथ लिखा है।
  • दूसरा जयविलास पैलेस के गेट के समाने इस रोड़ का नाम थीम रोड का बोर्ड लगा दिया है। जिस पर हिंदू महासभा ने कालिख पोती है।
  • आज हिन्दू महासभा ने वीर सावरकर मार्ग नाम की पट्टिका लगा दी
  • कॉन्ग्रेस पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया, जवाहरलाल नेहरू और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर मार्ग के नामकरण की बात कह रही है।
  • मराठा समाज कैलाश वासी महादजी सिंधिया के नाम पर नामकरण की बात कह रही है

सड़क के नाम को लेकर हिंदू महासभा, कांग्रेस, बीजेपी के साथ-साथ अब मराठा समाज भी मैदान में आ 

वैसे स्मार्ट सिटी का दावा है कि यह रोड फरवरी लास्ट में बनकर तैयार हो जाएगी। बाकी बचा काम डेकोरेशन का काम है वह मार्च से अप्रैल के बीच में हो जाएगा,लेकिन स्मार्ट सिटी कंपनी के साथ-साथ पुलिस प्रशासन और निगम के सामने अब नई चुनौती यह है की इस रोड का नाम क्या रखा जाए। क्योंकि नाम को लेकर हिंदू महासभा, कांग्रेस, बीजेपी के साथ-साथ अब मराठा समाज भी मैदान में आ गया है। हिंदू महासभा वहीं है जो ग्वालियर में गोडसे को महिमा मंडित करने के साथ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अपमान लगातार करती है।  जिस पर पुलिस प्रशासन की चुप्पी रहती है ओर अब वह भी सड़क के नामकरण को लेकर मैदान में है। बहरहाल स्मार्ट सिटी इसे ग्वालियर की सबसे खूबसूरत रोड बनाने के नाम पर करीब 300 करोड़ रूपए से ज्यादा की राशि खर्च कर रही है। लेकिन जैसे-जैसे ये सड़क आकार ले रही है, वैसे ही इस रोर के नाम विवाद खड़े हो रहे हैं।

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