कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के 3 जिलों भोपाल, विदिशा, ग्वालियर में करीब 37 करोड़ की लागत से ग्रुप मीटर लगाने के बाद भी बिजली सप्लाई शुरू नहीं होने का मामला सामने आया है. इससे बिजली कंपनी को काफी आर्थिक क्षति हुई है. इसका खुलासा भी सूबे के ऊर्जा मंत्री प्रघु्म्न सिंह तोमर के मैदानी दौरे के समय हुआ, तो उन्होंने तत्काल ग्रुप मीटर लगाने वाली कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड करने के साथ ही सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

दरअसल मध्य प्रदेश विद्युत वितरण कंपनी के कुछ अधिकारियों ने भोपाल शहर, विदिशा शहर-ग्रामीण और ग्वालियर शहर, ग्वालियर ग्रामीण में तीन कंपनियों को 4800 से अधिक बिजली के ग्रुप मीटर लगाकर बचत करने का कथित फार्मूला दिया था. अधिकारियों ने यह दावा किया था कि ग्रुप मीटर लगने से घर-घर जाकर रीडिंग लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

वहीं दिसंबर 2020 में ग्वालियर शहर के भ्रमण के दौरान ऊर्जा मंत्री प्रघुम्न सिंह तोमर,एक खंबे पर सफाई कर रहे थे, तब उन्हें वहां एक ग्रुप मीटर लगा दिखा था. उन्होंने वहां के आधिकारियों से पूछताछ की, उस वक्त वे देखकर आश्चर्य में पड़ गए कि ग्रुप मीटर तो लगा है, पर उसमें बिजली सप्लाई नही हो रही है, जिसके बाद तीन जिलों की जांच के आदेश दिए थे.

इस मामले में ऊर्जा मंत्री प्रदुमन सिंह तोमर का कहना है कि ग्रुप मीटर लगाने के पूरे मामले में मध्य प्रदेश विद्युत वितरण बिजली कंपनी के अधिकारियों के साथ ग्रुप मीटर लगाने वाली कंपनियों की मुख्य भूमिका रही है. इसमें भोपाल में सबसे सर्वाधिक अधिक 20 करोड़ रूपए के 3301 मीटर मैसर्स ओम बिल्डर गाजियाबाद ने लगाए हैं, जबकि इसकी जरूरत नहीं थी. इसके बाद ग्वालियर शहर में करीब 8 करोड रुपए के मेसर्स विक्रान इंजीनियरिंग एंड एक्जाइम प्रा लि मुंबई ने लगाएं. जबकि विदिशा में मेसर्स रैने पावर भोपाल ने 613 मीटर लगाएं.

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