चंडीगढ़। पंजाब की 117 विधानसभा सीटों पर मतदान जारी है. इधर खन्ना के बूथ संख्या 121 में एंट्री करते ही 80 वर्षीय रिटायर्ड टीचर दीवान चंद की हार्ट अटैक आने से मौत हो गई, जिससे वहां लोग स्तब्ध रह गए. वहीं अगर वोटिंग की बात करें, तो सबसे धीमी वोटिंग अमृतसर ईस्ट पर हो रही है, जहां कांग्रेस पंजाब अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के बीच कांटे की टक्कर है. सबसे ज्यादा 57.07% मतदान मलेरकोटला में हुआ है, जबकि मोहाली (साहिबाजादा अजीत सिंह नगर) में सबसे कम महज 42% मतदान ही दर्ज किया गया है.

 

अमृतसर ईस्ट पर 3 बजे तक 33.70 फीसदी वोटिंग

नवजोत सिद्धू और बिक्रम सिंह मजीठिया जैसे दिग्गजों के बीच कड़ी फाइट वाली अमृतसर ईस्ट सीट पर वोटर सहमा हुआ दिखाई दे रहा है. राज्य में अब तक सबसे कम पोलिंग इस सीट पर रहा है. यहां सुबह 9 बजे तक महज महज 1.10% और 11 बजे तक 7.10% मतदान ही हुआ था. इसके बाद 1 बजे तक थोड़े मतदाता बढ़े और पोल प्रतिशत बढ़कर 18.60% हो गया. अगले दो घंटे में यानी 3 बजे तक लगभग दोगुना 33.70% मतदान दर्ज किया गया, लेकिन पंजाब में ओवरऑल 49.81% मतदान के मुकाबले यह बेहद कम है.

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सिद्धू और मजीठिया के बीच कड़ा मुकाबला

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू पर ड्रग्स से जुड़े मामलों में झूठा फंसाने का आरोप लगाते हुए उनके कभी दोस्त रहे और अब कट्टर दुश्मन शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के दिग्गज पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने अपना गृहक्षेत्र मजीठा छोड़कर उनके गढ़ में चुनौती दी है. मजीठा से उनकी पत्नी गनीव ग्रेवाल चुनाव मैदान में हैं. जब सिद्धू (58) ने मजीठिया (46) को अमृतसर (पूर्वी) से चुनाव लड़ने की चुनौती दी, तो शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल ने सिद्धू का ‘अहंकार खत्म करने’ के लिए यहां से मजीठिया को मैदान में उतारने की घोषणा की. सिद्धू ने पिछले साल दिसंबर में ड्रग्स मामले में मजीठिया पर मामला दर्ज होने का जोरदार प्रचार किया था. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने मजीठिया की 23 फरवरी तक गिरफ्तारी पर रोक लगाकर संरक्षण दे दिया.

”भाजपा के लिए पंजाब विधानसभा चुनाव राज्य में अपना विस्तार करने की दिशा में एक कदम”

 

साल 2012 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई अमृतसर (पूर्व) सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. सिद्धू यहां से दो बार और उनकी पत्नी नवजोत कौर एक बार चुनाव जीत चुकी हैं. साल 2017 में क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू ने न केवल भाजपा के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी राजेश हनी को 42,000 से अधिक मतों के भारी अंतर से हराया था, बल्कि 11 में से 10 सीटें जिताकर पार्टी के लिए गेम-चेंजर की भूमिका भी निभाई थी. अमृतसर जिला हालांकि कभी शिअद-भाजपा गठबंधन का गढ़ हुआ करता था. सुखबीर बादल के बहनोई मजीठिया ने तीन बार 2007, 2012 और 2017 में मजीठा सीट जीती है, जबकि सिद्धू अमृतसर (पूर्व) के मौजूदा विधायक हैं. यह मानते हुए कि सिद्धू का राजनीतिक जीवन अंत हो रहा है, बादल ने कहा था कि सिद्धू के अहंकार का नाश होगा.