रायपुर. जीवन में जीवित रहने के लिए जो खर्च करते हैं उससे ज्यादा खर्च हम दिखावा के लिए कर देते हैं. बहुत सारे खर्च तो जरूरी होते हैं, लेकिन ऐसे कई अनचाहे खर्च भी किये जाते हैं जिनसे बचा जा सकता है. ऐसे में धन संबंधी समस्या जीवन में बनी रहती है.
आय से ज्यादा खर्च करने वाला सदैव चिंता से पीडित रहता है. सोच विचारकर खर्च करने वाला आमदनी के बाहर खर्च नहीं करता और सदा सुखी रहता है वहीं आमदनी से अधिक खर्च करने वाला सदा दुखी रहता है. आमदनी से अधिक खर्च करने वाले को कर्ज लेना पड़ता है, और कर्ज का बोझ और अधिक खर्च से आर्थिक संतुलन बिगड़ जाता है.
अधिक खर्चीला मनुष्य नीति – अनीति की परवाह छोड़कर गलत-सही जिस किसी भी उपाय से रुपये प्राप्त करना चाहता है, जिसका परिणाम दुख और अशांति है. इसे कुंडली से देखा जा सकता है. यदि किसी व्यक्ति के छठवे स्थान में शुक्र आ जाए और उसकी दशा चले तो व्यक्ति कर्जा लेकर भी खर्च करता है. वहीं यदि द्वितीयेश या एकादशेश छठवे स्थान में हो तो आवश्यक खर्च के लिए भी कर्ज लेना पड़ता है.
यदि जीवन में आमदनी से अधिक खर्च हो तो कुंडली का विश्लेषण कराया जाकर खर्च पर नियंत्रण एवं कर्ज के बोझ से बचा जा सकता है. इसी प्रकार यदि शुक्र राहु से पापाक्रांत हो जाए तो भी खर्च कमाई से ज्यादा होता है. अतः शुक्र राहु की पूजा सफेद वस्तुओं का दान एवं मा भगवती की उपासना करनी चाहिए.
श्रीयंत्र को पूजा स्थान पर रखकर उसकी पूजा करें, फिर उसे लाल कपड़े में लपेटकर तिजोरी में रखें. इससे धन वृद्धि होती है और धन का अपव्यय रुकता है. जीवन में व्यय का अनुशासन बनाये रखने के लिए दुर्गा कवच का पाठ करें साथ ही सुहाग की सामग्री का दान करें.