चंडीगढ़। पंजाब में 117 विधानसभा सीटों पर 20 फरवरी को चुनाव हुए हैं और अब नतीजों के लिए 10 मार्च का इंतजार है. विधानसभा के बाद अब पंजाब में राज्यसभा इलेक्शन की बारी है. राज्यसभा के चुनाव अप्रैल में होने हैं, क्योंकि संसद के उच्च सदन में राज्य के 7 सदस्यों में से 5 का कार्यकाल 10 अप्रैल को समाप्त हो जाएगा. इनमें श्वेत मलिक (भाजपा), नरेश गुजराल (शिअद), प्रताप सिंह बाजवा ( कांग्रेस), शमशेर सिंह दुल्लो (कांग्रेस) और सुखदेव सिंह ढींडसा शिअद प्रतिनिधि के रूप में चुने गए थे, लेकिन अब वह शिअद से अलग हो चुके हैं और शिअद संयुक्त के प्रमुख हैं. राज्य के दो अन्य राज्यसभा सदस्यों अंबिका सोनी (कांग्रेस) और बलविंदर सिंह भुंदर (शिअद) का कार्यकाल जुलाई में समाप्त होगा.

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पंजाब विधानसभा ने चुनाव आयोग के निर्देशों पर चुनावी प्रक्रिया शुरू कर दी है और रिटर्निंग ऑफिसर और असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर के नाम चुनाव आयोग को भेज दिए गए हैं. विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के तुरंत बाद अधिसूचना जारी होगी और राज्यसभा चुनाव कराए जाएंगे. इससे पहले राज्यसभा चुनाव 2016 में हुआ और अब राज्य में छह साल के अंतराल के बाद पंजाब अपने प्रतिनिधियों को अपर हाउस (राज्यसभा) में भेजेगा. निवर्तमान विधानसभा को राज्यसभा के लिए किसी भी सदस्य को चुनने का मौका नहीं मिला है. हालांकि विधानसभा में कांग्रेस, भाजपा और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रतिनिधियों ने चुनाव में भाग लिया, लेकिन आम आदमी पार्टी के विधायकों ने 2017 में पहली बार विधानसभा में प्रवेश किया था, उन्हें अपने पहले कार्यकाल में वोट देने का मौका नहीं मिला है.

पंजाब से हर 6 साल में राज्यसभा में भेजे जाते हैं सांसद

गौरतलब है कि राज्यसभा के एक तिहाई सदस्य हर दो साल में सेवानिवृत्त होते हैं. पंजाब में जो 1985 से 1992 के बीच राष्ट्रपति शासन के अधीन रहा, उसे हर दो साल में अपना प्रतिनिधित्व भेजने का मौका नहीं मिला है. 1992 में सभी प्रतिनिधियों को उच्च सदन में भेजा गया था, तब से राज्यसभा के चुनाव हर 6 साल में होते हैं और सभी सदस्य एक साल में ही चुने जाते हैं.