संजीव शर्मा, कोण्डागांव। बिना सोचे-समझे अधिकारियों की कार्रवाई का क्या नतीजा होता है, इसका जीता-जागता नमूना कोण्डागांव शिक्षा विभाग बन गया है. जहां पहले अतिथि शिक्षकों की सेवा समाप्ति का आदेश जारी कर दिया, इस पर जब मीडिया ने सवाल उठाया तो अगले ही दिन नया आदेश जारी कर पूर्व के आदेश को निरस्त कर नए शिक्षकों की भर्ती नहीं करने का फरमान जारी करना पड़ा.

शिक्षा विभाग ने 25 फरवरी की देर रात अतिथि शिक्षकों का सेवा समाप्ति का आदेश जारी किया था. इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए जाने के बाद शिक्षा विभाग ने 26 फरवरी को नया नोटिस जारी कर 198 शिक्षकों को वापस लेते हुए नए शिक्षकों के चयन पर भी रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया है. नोटिस में सभी प्रार्चायों को अतिथि शिक्षकों को कार्यमुक्त नहीं करने के निर्देश दिया गया है.

सवाल यह है कि शिक्षा विभाग ने अपने पहले आदेश में कहा था कि अतिथि शिक्षक के तौर पर नियुक्त कुछ शिक्षकों के फार्म विभाग तक नहीं पहुंचे हैं. वहीं कुछ शिक्षकोंं के डिवीजन पर, तो कुछ शिक्षकों के बीएड नहीं होने की बात कही गई थी. सवाल यह है कि अगर यह बात सही थी तो दूसरी बार आदेश जारी करने की जरूरत क्यों पड़ गई. 24 घंटे के भीतर सबकुछ कैसे ठीक हो गया.

 

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क्या था पूरा मामला

दरअसल, शिक्षा विभाग ने 2019 में जिले 198 अतिथि शिक्षक पद के लिए विज्ञापन जारी किया था, जिसमें पहली प्राथमिकता विघा मितानों को दी गई थी. 2019 से भर्ती इन शिक्षकों को 18,000 रुपए मानदेय के रूप में दिया जा रहा था. 4 साल सेवा लेने के बाद विभाग ने 25 फरवरी 2022 को एक आदेश के तहत यह कहकर सेवा से बाहर कर दिया है कि भर्ती प्रकिया सही नहीं थी. लेकिन दबाव पड़ने के बाद रातोंरात मामला सुलझ हो गया, और नए आदेश में सभी को यथावत रख लिया गया.