कुमार इंदर,जबलपुर। मध्यप्रदेश के जबलपुर की सूरत बदलने की कवायद में जुटा नगर निगम और स्मार्ट सिटी का ऑफिस अपने कई नाकाम प्रयासों के बाद भी शहर को स्मार्ट नहीं बना पाया है. फिर चाहे शहर की शक्ल बदलने की बात हो या फिर स्वच्छता का संदेश देने की. शहर को बदलने में स्मार्ट सिटी और नगर निगम लगभग नाकामयाब ही रहा है. स्मार्ट सिटी के शहर में कुल 51 प्रोजेक्ट बने हैं, लेकिन एक भी प्रोजेक्ट अब तक कंप्लीट नहीं हो पाया है. यही नहीं पूरा शहर खुदा पड़ा है.
ब्रांड एंबेसडर का फार्मूला भी अपना चुका है स्मार्ट सिटी
इससे पहले भी स्मार्ट सिटी ने श्रेया खंडेलवाल को शहर में स्वच्छता अभियान के लिए एंबेसडर बनाया था, लेकिन नगर निगम का फार्मूला पूरी तरह फ्लॉप रहा. कुछ दिन पहले ही स्मार्ट सिटी ने एक्टर संदीप आर्य को शहर में स्वच्छता का संदेश देने चूना रहा, लेकिन जमीन पर अब तक उसका असर देखने को नहीं मिला. स्मार्ट सिटी की सीईओ निधि सिंह राजपूत का कहना है कि उनके काफी सारे प्रोजेक्ट पूरे हो चुके है. कुछ प्रोजेक्ट जल्द होने वाले है. जबकि हकीकत ये है कि स्मार्ट सिटी ने अपने अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए फिर से टाइम लिमिट बढ़ा दी है.
जिले को मिला अब तक करीब 400 करोड़
स्मार्ट सिटी के तहत अब तक जबलपुर को करीब 400 करोड़ रुपए मिल चुके हैं, उसके बाद भी शहर की सूरत बद से बदतर है. स्मार्ट सिटी के तहत मल्टीपार्किंग बनाने के लिए 8 करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च हुआ, लेकिन केवल दो ही मल्टीपार्किंग बनी है. वह भी निगम की अवेयरनेस की कमी के चलते खाली पड़ी रहती है और गाड़ियों का जाम सड़कों पर लगा रहता है. स्मार्ट सिटी के तहत बनाई गई साइकिल ट्रैकिंग अब शहर में कहीं नामोनिशान नहीं बचा है. स्मार्ट सिटी के तहत शहर में बनाए गए साइकिल जोन कब के खत्म हो चुके हैं. वहीं लाखों रुपए की साइकिल भी नदारद है.
स्मार्ट सिटी के सपने अधूरे
स्मार्ट सिटी के तहत बनाई जाने वाली सड़कों की हालत गलियों जैसी है. स्मार्ट सिटी के तहत बनाया गया साढ़े 14 करोड़ रुपए का ओपन थिएटर बिना खुले ही खंडार हो रहा है. स्मार्ट सिटी के तहत शहर में कुछ जगह सड़कों को डाइवर्ट करके महज कल्चर स्ट्रीट के नाम पर दिखावा किया गया है. स्मार्ट सिटी के तहत शहर में करीब 35 करोड़ एलईडी लाइटें लगाई गई थी, लेकिन आधे से ज्यादा लाइट आया तो बंद पड़ी है या तो गायब है. भंवरताल गार्डन में वृक्षारोपण के लिए 4 लाख रुपए खर्च किए गए लेकिन सीजनेबल पौधे लगाकर इतिश्री कर दी गई.
51 प्रोजेक्ट बने, एक भी प्रोजेक्ट कंप्लीट नहीं
जबलपुर में स्मार्ट सिटी के तहत बड़े चौराहा में लेप्टन बनना था, लेकिन अब तक उसका काम नहीं हो पाया. शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए जगह-जगह प्लास्टिक के टायलेट करोड़ों रुपए के टॉयलेट बनाए गए थे लेकिन वोशहर में नदारद है. बता दें कि स्मार्ट सिटी के शहर में कुल 51 प्रोजेक्ट बने हैं, लेकिन एक भी प्रोजेक्ट अब तक कंप्लीट नहीं हो पाया है. यही नहीं पूरा शहर खुदा पड़ा है.
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