इमरान खान,खंडवा। भगवान शिव के कई रूप आपने देखे होंगे. लेकिन हम आपको आज खंडवा लिए चलते हैं. जहां भगवान शिव तब से विराजमान हैं, जब भगवान राम के पूर्वज ने तपस्या कर उन्हें ओंकार पर्वत पर ही विराजमान होने का वचन लिया था. ओंकारेश्वर एक ऐसा ज्योर्तिलिंग है, जहां भगवान शिव अपनी मानस पुत्री मां नर्मदा के तट पर ध्यान मुद्रा में विराजमान हैं. कल–कल कलरव करती मां नर्मदा का जल भगवान ओंकार के मंदिर के नीचे से प्रवाहित हो रहा है.
देश के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में ओंकारेश्वर का अपना-अलग ही महत्व है. हजारों वर्ष पुरानी इस मंदिर के बारे में किवदंती हैं कि भगवान श्रीराम के पूर्वज राजा मांधाता ने यहां ओंकार पर्वत पर तपस्या कर भगवान शंकर से यहीं विराजमान होने की इच्छा जताई थी. तब से हजारों वर्षों से भगवान यहीं ओंकारेश्वर में विराजमान हैं. भगवान शिव के साथ ब्रह्मा और विष्णु भी विराजित हैं.
देश में पिछले दो वर्षों में कोरोना महामारी के कारण मंदिर में श्रद्धालुओं का आने की सिलसिला मानो थोड़ा सा काम हो गया था, लेकिन भगवान की ऐसी आस्था हुई की इस वर्ष कोरोना संकट खत्म होने के बाद श्रद्धालुओं में महाशिवरात्रि महापर्व को लेकर गजब का उत्साह देखा जा रहा है. दूर- दूर से श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने यहां आ रहे हैं.
बहरहाल एक बार फिर तैयार हो जाइए अपने आराध्य के दर्शन के लिए. कोरोना संकट के कारण भक्त और भगवान के बीच जो दूरी हुई थी. उसे अपनी आस्था के पवित्र जल से अपने आराध्य को सराबोर कर दीजिए, ताकि भगवान शिव आपकी हर मनोकामना पूरी करे.
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