शब्बीर अहमद, भोपाल। भोपाल क्राइम ब्रांच ने किसानों से 100 करोड़ की ठगी (100 crores cheated from farmers in the name of fish farming) करने वाले गैंग का भंडाफोड़ किया है। ये लोग पहले तो किसानों को मछली पालन की फर्जी स्कीम बताकर कृषि आय दोगुना करने का लालच देकर झांसे में लेते थे। उसके बाद उनकी रकम लेकर फरार हो जाते थे। आरोपियों ने प्रदेश सहित कई राज्यों के सैकड़ों किसानों को कोरड़ों रुपए का चुना लगाया है। सभी गोवा-दिल्ली और अन्य राज्यों में छिपकर मौज कर रहे थे। गैंग में कुल 9 लोग हैं। चार आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वहीं पांच आरोपी अब भी फरार है। गिरफ्तार होने वालों में बाप-बेटे भी हैं। । पुलिस ने दावा किया कि पिता-पुत्र की गैंग करीब 100 करोड़ रुपए की ठगी कर चुकी है। हालांकि, गैंग से पुलिस नकदी बरामद नहीं कर सकी है। पुलिस ने पिता-पुत्र के 7 बैंक खाते फ्रीज कराए हैं।
आरोपी धर्मेन्द्र ठाकुर, प्रह्लाद शर्मा और मनोज कटारे निवासी भोपाल फिश फार्च्यून प्रोडक्शन कम्पनी मध्यप्रदेश के संचालक/प्रमोटर आदि के तौर पर स्वयं की पहचान बताते थे। इन सभी का हेड ऑफिस सिटीवाॅक माल सेकेंड फ्लोर हलालपुरा लालघाटी भोपाल में था, जो कि आरोपी प्रहलाद शर्मा के बेटे आरोपी शुभम शर्मा के नाम पर था। अपने लड़के और अन्य साथीगण के साथ मिलकर धोखाधड़ी करता था। मछली पालन के माध्यम से दो साल ने आमदनी दोगुना करने का लालच देता था। पीछताछ में आरोपियों ने कई किसानों से करोड़ो रुपए लेकर कंपनी को देना स्वीकार किया है।
इस तरह हुआ मामले का खुलासा
दरअसल प्रार्थी कपिल दुबे साथ और अन्य किसानों ने फिश फार्च्यून प्रोडक्शन कम्पनी गुड़गाँव के संचालक बिजेन्द्र कश्यप एवं उनके सहायक संचालक/प्रमोटर धर्मेन्द्र ठाकुर, प्रह्लाद शर्मा और मनोज कटारे पर अगस्त 2019 में फर्जी का मामला दर्ज कराया था। शिकायत पर भोपाल क्राइम ब्रांच ने धारा 420,409,120 बी 34 के तहत मामला दर्ज किया था।
क्राइम ब्रांच ने शिकायत पर कार्रवाई करते हुए मामले में आरोपी ब्रिजेन्द्र कश्यप और विनय शर्मा को गिरफ्तार किया था। फरार आरोपी प्रहलाद शर्मा को क्राइम ब्रांच की टीम ने मुखबिर की सूचना पर कोहेफिजा क्षेत्र से पकड़ा। पूछताछ में उसने अपना जुर्म करना स्वीकार किया। आरोपी से पूछताछ पर एवं दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर आरोपी पृहलाद शर्मा और उसके लड़के शुभम शर्मा द्वारा भोले भाले किसानो को फायदे का झांसा देकर अपने खातों में करीबन 84 लाख रुपए फर्जी करना बताया था।
इस तरह वारदात को दिया अंजाम
आरोपीगण भोले-भाले किसानों को अपनी फर्जी स्कीम बताते थे। आरोपी किसलानों को उपलब्ध जमीन का उपयोग कर कन्ट्रेक्ट बेस पर मछली पालन करने का झांसा देते थे। मछली पालन के लिए सिर्फ आधा एकड़ या एक एकड़ जमीन की आवश्यकता होती है। इसके एवज मेंकिसानों को कम्पनी तीस किस्तों यानी 15 माह तक 37 हजार 500 प्रति माह टीडीएस एव अन्य खर्चे काटकर देगी। कम्पनी किसान को तीस किस्तों यानि 15 माह तक 37,500 रुपए मछली पालन के लिए तालाब की लीज एमाउंट देगी। कम्पनी तालाब खुदवाकर उसके चारों तरफ जाली लगवाएगी, सीसीटव्ही कैमरा लगवाएगी, मछली बीज उपलब्ध काराएगी एव मछली के दाना-पानी की व्यवस्था कराएगी। सिक्युरिटी मनी के प्राप्त होने के तीन दिन के अंदर मछली पालन शुरू कर देगी।
यदि मछली पालन के दौरान मेंडिकल संबंधी आवश्यकता पड़ी तो उसे कम्पनी अपने खर्च पर उपलब्ध कराएगी। यदि कंपनी द्वारा आकस्मिक दौरे के दौरान तालाब में कोई व्यक्ति मछली पकड़ते हुये पाया गया तो उसके लिये पेनल्टी लगेगी। उनकी ओर से प्रतिमाह वाटर सप्लाई, सिक्युरिटी गार्ड एव इलेक्ट्रिसिटी दूसरी पार्टी उपलब्ध करायेगी। उसके लिये प्रतिमाह 8000 रुपए कंपनी अलग से देगी। किसान का कंपनी के मछली पालन के काम में कोई हस्तक्षेप नहीं रहेगा। कपनी पूर्ण रूप से एग्रीमेंट में दी गयी राशि के समयावधि में भुगतान के लिये जिम्मेदार है। कपनी कभी भी किसान द्वारा उपलब्ध करायी गयी जमीन का मछली पालन के अलावा किसी अन्य काम मे उपयोग नहीं करेगी।
इन सभी शर्तों के चलते किसानों ने अपने व्यक्तिगत तालाबों में मछली पालन शिरू करवाया। इसमें कुछ किसान के पास संलग्न एग्रीमेंट के अनुसार कुछ किस्त आई। वहीं अधिक्तर किसानों के पास बिल्कुल भी नहीं। किसानों ने जब धर्मेन्द्र ठाकुर, प्रह्लाद शर्मा एव मनोज कटारे से इस संबंध में चर्चा की तो सभी ने टालामटोली की। बाद में फोन लगाने पर उन्होंने फोन उठाना बंद कर दिया। आरोपियों ने किसानों को सपना दिखाकर सपना दिखाकर किसानों से अपनी मर्जी मुताबिक को लूट लिया।
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