लखनऊ. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में राज्य सरकार ने सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति और अन्य के खिलाफ अपील दाखिल की है. गायत्री प्रजापति रेप के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है. हालांकि इसी मामले में विचारण अदालत ने उसे और अन्य दो को पॉक्सो एक्ट से बरी कर दिया था. जबकि चार अभियुक्तों को पूरे मामले से ही बरी कर दिया था. राज्य सरकार ने विचारण अदालत द्वारा गायत्री और अन्य को पॉक्सो से बरी किए जाने और अन्य चार को पूरी तरह से बरी किए जाने के फैसले को चुनौती है.
जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सरोज यादव की पीठ ने अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए जेल में बंद गायत्री प्रजापति और दो अन्य अभियुक्तों अशोक तिवारी व अशोक शुक्ला को जेल अधीक्षक के द्वारा नोटिस तामील कराने का आदेश दिया है. इन तीनों को धारा 376डी, 354(ए)(1), 509, 504 व 506 के साथ पॉक्सो एक्ट से बरी किया गया था. दूसरी ओर कोर्ट ने इस मामले में पूरी तरह से बरी किए गए रूपेश्वर उर्फ रूपेश, चंद्रपाल, विकास वर्मा और अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटु सिंह के खिलाफ जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया है. मामले में गायत्री प्रजापति, अशोक तिवारी और अशोक शुक्ला ने भी अपने दोषसिद्धि के खिलाफ अलग-अलग अपीलें दाखिल की हैं. सभी अपीलों पर अब 26 अप्रैल को सुनवाई होगी.
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बता दें कि 18 फरवरी, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति और अन्य 6 अभियुक्तों के खिलाफ थाना गौतमपल्ली में गैंगरेप, जानमाल की धमकी व पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश पीड़िता की याचिका पर दिया था. पीड़िता ने गायत्री प्रजापति और उनके साथियों पर गैंगेरप का आरोप लगाते हुए अपनी नाबालिग बेटी के साथ भी जबरन शारीरिक संबध बनाने का आरोप लगाया था. 18 जुलाई, 2017 को पॉक्सो की विशेष अदालत ने इस मामले में गायत्री समेत सभी 7 अभियुक्तों विकास, आशीष, अशोक, अमरेंद्र, चंद्रपाल व रूपेश्वर के खिलाफ आरोप तय किया था. साथ ही गायत्री, विकास, आशीष व अशोक के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 5जी/6 के तहत भी आरोप तय किया था. 12 नवंबर को पॉक्सो अदालत ने गायत्री, आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी को उम्रकैद की सजा सुनाई, जबकि बाकी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था.