पंजाब/नई दिल्ली। पंजाब विधानसभा चुनाव के नतीजे 10 मार्च को घोषित हो गए, जिसमें आम आदमी पार्टी ने इतिहास रच दिया. आप की ऐसी आंधी चली कि बड़े-बड़े दिग्गज धराशायी हो गए. बता दें कि पंजाब विधानसभा की 117 सीटों में से आम आदमी पार्टी को 92, कांग्रेस को 18, शिरोमणि अकाली दल को 3, बसपा को 1, बीजेपी को 2 और अन्य को 1 सीट हासिल हुई है. वहीं विधानसभा चुनाव में मिली शानदार जीत के बाद आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार भगवंत मान शुक्रवार को दिल्ली पहुंचे. उन्होंने आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की. जीत से गदगद और भावुक भगवंत मान ने अरविंद केजरीवाल के पैर छुए और उनका आशीर्वाद लिया. भगवंत मान ने दिल्ली सीएम केजरीवाल को शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का न्योता दिया.

इस मौके पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी मौजूद थे. भगवंत मान 16 मार्च को शहीद भगत सिंह के पैतृक गांव खटकड़कलां में सीएम पद की शपथ लेंगे. मान ने शपथ ग्रहण समारोह के लिए आप संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को आमंत्रित किया है. शपथ ग्रहण से पहले भगवंत मान अरविंद केजरीवाल के साथ 13 मार्च को अमृतसर में रोड शो भी करेंगे. वहीं पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट किया है. केजरीवाल ने लिखा है उनका छोटा भाई भगवंत मान पंजाब में सीएम पद की शपथ लेगा. वह उन्हें न्योता देने आए थे. मुझे पूरा भरोसा है कि भगवंत एक मुख्यमंत्री के तौर पर पंजाब के लोगों की हर उम्मीद को पूरा करेंगे.

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जनता ने अपना काम कर दिया है. अब उनकी बारी है- भगवंत मान

पंजाब में मिली प्रचंड जीत के बाद भगवंत मान ने कहा कि जनता ने अपना काम कर दिया है. अब उनकी बारी है. उन्होंने लोगों से वादा किया कि आपको एक महीने के भीतर ही अंतर महसूस होने लगेगा. मेरी सरकार कोठियों से नहीं चलेगी, बल्कि गांवों, शहरों, खेतों और वार्डों से चलेगी. गौरतलब है कि आप ने पंजाब चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल की है. पंजाब के पूरे इतिहास में किसी एक पार्टी की ये सबसे बड़ी जीत मानी जा रही है. इससे पहले 1992 में कांग्रेस ने 87 सीटें जीती थीं, लेकिन 2022 में आप की ये जीत सिर्फ नंबर के लिहाज से बड़ी नहीं है, बल्कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सुनामी में बड़े-बड़े सियासी दिग्गज धराशायी हो गए. कार्यकारी मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी अपनी दोनों सीट से चुनाव हार गए. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू भी अपनी सीट नहीं बचा पाए, तो दो पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रकाश सिंह बादल को भी हार का सामना करना पड़ा. सुखबीर सिंह बादल और बिक्रम सिंह मजीठिया भी अपनी सीट नहीं बचा सके.