रायपुर. सनातन धर्म में संक्रांति का विशेष महत्व है. सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश संक्रांति कहलाता है और जिस राशि में सूर्य प्रवेश करता है उसे उसी नाम से जाना जाता है. 14 मार्च को सूर्य मीन राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं. 14-15 मार्च की मध्यरात्रि में सूर्य मीन राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं.

मीन संक्रांति का खास महत्व है. फाल्गुन का महीना हिंदू कैलेंडर के हिसाब से आखिरी म​हीना है, इस हिसाब से मीन  संक्रांति  भी हिंदू वर्ष की आखिरी  संक्रांति  है. सूर्य के मीन में प्रवेश करने पर सूर्य के प्रभाव से बृहस्पति की सक्रियता कम हो जाती है, इस कारण मीन  संक्रांति   के साथ ही एक महीने के लिए खरमास लग जाता है.

14 मार्च को सूर्य की मीन संक्रांति है. इस दिन सूर्य रात 12:16 मिनट में कुंभ राशि से निकलेंगे और मीन राशि में प्रवेश करेंगे. मीन राशि में सूर्य 14 अप्रैल की सुबह 8:43 मिनट तक रहेंगे.  मीन संक्रांति का महापुण्य काल 15 मार्च सुबह 6:31 मिनट से सुबह 8:31 मिनट तक रहेगा. इसके बाद एक बार फिर सूर्य का राशि परिवर्तन होगा. इसी के साथ 15 अप्रैल के बाद से मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी.

मीन संक्रांति का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है. मीन संक्रांति से सूरज की गति उत्तरायण की ओर बढ़ने लगती है, इसी के साथ दिन बड़े होने लगते हैं और रात छोटी होने लगती है. शास्त्रों में उत्तरायण को देवताओं का समय बताया गया है. ऐसे में देव उपासना, ध्यान, दान, पुण्य, नदी स्नान, योग आदि का विशेष महत्व है. इसका कई गुणा पुण्य प्राप्त होता है. मीन संक्रांति के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि करना चाहिए. अगर आप नदी स्नान कर सकें तो बहुत ही अच्छा है, वरना जल में गंगा जल मिलाकर स्नान कर सकते हैं. इसके बाद सूर्य देवता को अर्घ्य देकर उनका पूजन करना चाहिए. सूर्य पूजन के बाद तिल, वस्त्र और अनाज का दान करना चाहिए है. गाय को चारा खिलाना चाहिए.

इन कामों की है मनाही

मीन संक्रांति के बाद एक महीने के लिए मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है, ऐसे में कुछ कामों को नहीं करना चाहिए. जैसे, इस समय विवाह न करें. माना जाता है कि खरमास के समय अगर विवाह किया जाए, तो जीवन में कई तरह की परेशानियां आती हैं. न तो भावनात्मक सुख मिलता है और न ही शारीरिक सुख.

इस समय नया बिजनेस शुरू नहीं करना चाहिए. माना जाता है कि ऐसा करने पर वो फलता नहीं है और आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है.

कान छेदन और मुंडन जैसे कार्यों को भी निषेध बताया गया है. माना जाता है कि इसे करने से आपसी रिश्तों पर खराब असर पड़ता है.

इस दौरान जमीन या मकान आदि न खरीदें, न ही गृह प्रवेश करें. ऐसा करने से उस मकान का सुख नसीब नहीं हो पाता है.