दिल्ली. देश में चल रहे बहुचर्चित हिजाब विवाद को लेकर आज बड़ा फैसला आ गया है. हाई कोर्ट ने स्कूल कॉलेजों में हिजाब बैन के फैसले को चुनौती देने वालीं याचिकाओं को खारिज कर दिया है. कर्नाटक हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि हिजाब इस्लाम धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है.

कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा क‍ि स्कूल यूनिफॉर्म का प्रिस्क्रिप्शन केवल एक उचित प्रतिबंध है, जिस पर छात्र आपत्ति नहीं कर सकते. कोर्ट ने यह भी माना कि स्कूल ड्रेस का निर्धारण एक उचित प्रतिबंध है, जो संवैधानिक रूप से मान्य है. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के पास इस संबंध में सरकारी आदेश जारी करने की शक्ति है. कोर्ट ने मामले से जुड़ी सभी रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया है. 

पीठ ने राज्य के सरकारी स्कूलों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाले कई मामलों की सुनवाई के बाद 25 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. पीठ ने मामले की सुनवाई 11 दिन तक की थी. प्रतिबंध को चुनौती देने वाला पहला मामला न्यायमूर्ति कृष्णा दीक्षित के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था, जिन्होंने मामले को एक बड़ी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए संदर्भित किया था.

इससे पहले, कर्नाटक के कई जिले में धारा 144 लगाई गई थी ताकि कहीं कोई अप्रिय घटना न हो. गौरतलब है कि हिजाब विवाद के बीच एक बजरंग दल हर्ष कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई थी. इस मामले ने ऐसा तूल पकड़ा की पूरे देश में प्रदर्शन देखने को मिल रहा था. जानिए हिजाब विवाद से जुड़े 10 अहम बातें.

1. 25 फरवरी को आदेश सुरक्षित रखा था

हिजाब विवाद (Hijab row) मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने 25 फरवरी को हुई सुनवाई के दौरान विभिन्न याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जेएम खाजी की तीन न्यायाधीशों की पीठ शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता एसएस नागानंद ने तर्क दिया था कि 2004 से प्रदेश में यूनिफॉर्म लागू है, लेकिन 2021 से पहले किसी ने इस मामले में विरोध नहीं किया. 2021 के अंत में इस संगठन (CFI) ने छात्राओं और उनके अभिभावकों को हिजाब के लिए भड़काया. इसके बाद से आंदोलन शुरू हुआ.

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2. 27 दिसंबर, 2021 को शुरू हुआ था विवाद

विवाद की शुरुआत उडुपी गवर्नमेंट कॉलेज से 27 दिसंबर, 2021 को शुरू हुई थी, जब कुछ लड़कियों को हिजाब पहनकर क्लास आने से रोका गया था. यहां के प्रिंसिपल रुद्र गौड़ा के मुताबिक, 31 दिसंबर को अचानक कुछ छात्राओं ने हिजाब पहनकर क्लास में आने की इजाजत मांगी. अनुमति नहीं मिलने पर विरोध शुरू हो गया.

3. देशभर में फैलता गया विरोध

उडुपी के गवर्नमेंट गर्ल्स पीयू कॉलेज की छह छात्राओं ने आरोप लगाया था कि उन्हें हेडस्कार्फ़ पहनने पर जोर देने के लिए कक्षाओं से रोक दिया गया था. इस पर उडुपी और चिक्कमगलुरु में दक्षिणपंथी समूहों ने आपत्ति जताई थी. इस तरह यह विवाद देशभर में फैल गया. कर्नाटक हिजाब विवाद में बुर्का पहनकरअल्लाह-हू-अकबर का नारा लगाने वाली मुस्कान खान पोस्टर गर्ल बन गई थीं. 19 वर्षीय मुस्कान कॉमर्स सेकेंड ईयर की छात्रा है.

4. सीएफआई पर पर आरोप

इस मामल में सीएफआई (Campus front of India) सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) समर्थित संगठन पर हिंसा फैलाने के आरोप लगे थे.सीएफआई 7 नवंबर 2009 को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ( Popular Front of India ) के मार्गदर्शन में शुरू किया गया था. तमिलनाडु के मोहम्मद यूसुफ इसके पहले अध्यक्ष थे. दावा था कि यह संगठन साम्राज्यवाद और फासीवाद के खिलाफ संघर्ष करेगा, लेकिन इस पर धार्मिक कट्‌टरपंथ फैलाने के आरोप लगते रहे हैं. कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया ने एंटी सीएए जैसे प्रदर्शनों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था.

5. बजरंग दल कार्यकर्ता की हत्या

हिजाब विवाद (Hijab Controversy) को लेकर कर्नाटक में बजरंग दल के 26 साल के कार्यकर्ता हर्षा की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में कर्नाटक सरकार के मंत्री मुस्लिम कट्टरपंथियों की साजिश बताते रहे.

6. सिखों तक पहुंच गया था विवाद

बेंगलुरु में सिख समुदाय से आने वाली 17 साल की अमृतधारी छात्रा को पगड़ी हटाने के लिए कहा गया. कॉलेज ने 10 फरवरी को कर्नाटक हाईकोर्ट की तरफ से जारी हुए अंतरिम आदेश का हवाला दिया. इस पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी (Harjinder Singh Dhami) ने कड़ी आपत्ति जताई है.

7. संविधान का जिक्र

हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं का कहना था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार (अनुच्छेद 19 (1)) का इस्तेमाल करते हुए छात्राओं को हिजाब पहनने की अनुमति दी जानी चाहिए.

8. कुरान का जिक्र

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान अंतरात्मा की आजादी, आवश्यक धार्मिक अभ्यास से लेकर कुरान के सूरे और हदीस तक का जिक्र किया गया. कहा गया कि कुरान में हिजाब अनिवार्य है. साथ ही तर्क दिया गया कि भारत समेत 196 देशों में हिजाब को मान्यता मिली है, तो अब विवाद क्यों?

9. फैसला आने तक धार्मिक कपड़े पहनने पर लगाई थी रोक

जनवरी 2022 में कर्नाटक के उडुपी और मांड्या समेत कई जिलों में हिजाब को लेकर प्रदर्शन होने के बाद यह मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा था. कोर्ट ने फैसला आने तक क्लास में हिजाब या अन्य किसी भी तरह के धार्मिक परिधान पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया था. यह आदेश उन स्कूल-कॉलेजों के लिए था, जहां ड्रेस कोड तय है.  

10. हिजाब विवाद पर कुछ बयान

नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजई (Malala Yousafzai) ने हिजाब विवाद पर तंज कसा था. उन्होंने आरोप लगाया था कि मुस्लिम छात्राओं को कर्नाटक में हिजाब पहनकर परिसरों और कक्षाओं में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है. लड़कियों की शिक्षा की हिमायत करने वाली एक्टिविस्ट मलाला ने ट्वीट किया कि लड़कियों को उनके हिजाब में स्कूल जाने से मना करना भयावह है.