बुलंदशहर. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिला अदालत ने 2018 सियाना हिंसा मामले में 36 आरोपियों के खिलाफ राजद्रोह के आरोप को मंजूरी दे दी है. गोहत्या की अफवाहों के कारण हुई इस घटना में एक पुलिस निरीक्षक और एक नागरिक की नृशंस मौत हो गई थी. मुख्य आरोपी बजरंग दल के सदस्य, योगेश राज, तब से जेल में हैं, जब सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उन्हें जमानत देने के आदेश पर रोक लगा दी थी. शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह गोहत्या पर लिंचिंग को जारी नहीं रहने दे सकती.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एडीजे) विनीता विमल ने अपने आदेश में कहा कि पुलिस जांच से यह पुष्टि हुई है कि आरोपी हथियारों के साथ एक अनियंत्रित भीड़ का हिस्सा थे. वे शांति भंग करने के उद्देश्य से मौके पर पहुंचे. अदालत ने चार्जशीट में धारा 124-ए (राजद्रोह) की अनुमति दे दी है और उसी के अनुसार सुनवाई होगी. सियाना हिंसा 3 दिसंबर 2018 को बुलंदशहर में हुई थी. सियाना के महाव गांव के पास गन्ने के खेत में गाय का शव मिलने के बाद भीड़ में हड़कंप मच गया था.

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हमले में सियाना थाने में तैनात इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की मौत हो गई. चिंगरावती पुलिस चौकी में आग लगाने के दौरान हुई हिंसा में एक युवक सुमित कुमार की भी मौत हो गई. तीन अलग-अलग चार्जशीट में चालीस लोगों के नाम थे. दो आरोपियों की पिछले तीन साल में मौत हो गई, जबकि एक नाबालिग है जिसका मामला किशोर न्यायालय में चल रहा है. बुलंदशहर पुलिस ने शुरू में आरोपियों के खिलाफ हत्या, हिंसा और राजद्रोह का मामला दर्ज किया था.

बाद में मार्च 2020 में अदालत ने आरोपपत्र से राजद्रोह के आरोप हटा दिए क्योंकि पुलिस के पास राज्य से अपेक्षित अनुमति नहीं थी. जून 2019 में यूपी सरकार ने राजद्रोह के मामले को मंजूरी दी. अदालत को राजद्रोह के आरोप लगाने में ढाई साल से अधिक का समय लगा. विशेष सरकारी परिषद यशपाल सिंह राघव ने कहा कि 41 आरोपियों में से केवल छह वर्तमान में जेल में हैं जबकि 38 जमानत पर बाहर हैं.