नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय अदालत ने बुधवार को रूस को तत्काल यूक्रेन पर हमला बंद करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने यह फैसला 13-2 की बहुमत से सुनाया है. फैसले में भारतीय जज दलवीर भंडारी ने रूस के खिलाफ अपना वोट दिया. भारतीय जज का यह रुख संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के रूख से विपरित है, जहां रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत तटस्थ बना हुआ है.

कोर्ट ने कहा कि वह रूस के बलप्रयोग से काफी चिंतित है. अपने फैसले में ICJ के चीफ जस्टिस जोआन डोनोग्यू ने कहा कि रूसी संघ 24 फरवरी से यूक्रेन पर जारी मिलिट्री ऑपरेशन को तत्काल बंद कर दे. आईसीजे में चीन और रूस के जजों ने रूस के खिलाफ वोट नहीं दिए.

रूस सुनवाई से अलग

यूक्रेन ने अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में आरोप लगाया है कि रूस ने यूक्रेन के दोनेत्स्क और लुगांस्क में नरसंहार के झूठा आरोप का सहारा लेकर युद्ध को जायज ठहरा रहा है. इसलिए यूक्रेन ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से रूस को तत्काल मिलिट्री ऑपरेशन को रोकने का आदेश देने का आग्रह किया था. पिछले सप्ताह अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में यूक्रेन के प्रतिनिधि एंटोन कोरिनेविच ने कहा था कि कोर्ट को तत्काल रूस की कार्रवाई को रोकने में अपनी भूमिका निभाना चाहिए. वहीं रूस ने इस सुनवाई से यह कहते हुए खुद को अलग कर लिया था कि अंतरराष्ट्रीय कोर्ट को इस मामले में सुनवाई करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है क्योंकि यूक्रेन 1948 के नरसंहार सम्मेलन के दायरे से बाहर हो गया है.

भारत सरकार से अलग रुख

भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रूस-यूक्रेन मामले में अब तक तटस्थ रहा है. रूस के साथ संवेदनशील संबंधों के कारण भारत रूस पर अपना रुख स्पष्ट नहीं कर रहा है लेकिन अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारतीय जज का पक्ष सरकार के पक्ष से बिल्कुल अलग है. ऐसे में इसलिए विश्लेषक इस बात का दलवीर भंडारी के इस कदम को लेकर विशेषज्ञ पशोपेश में हैं.

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संयुक्त राष्ट्र में भारत तटस्थ

संयुक्त राष्ट्र में भारत ने किसी पक्ष को अपना वोट नहीं दिया था और स्पष्ट किया था कि रूस-यूक्रेन बातचीत के माध्यम से मामले का शांतिपूर्ण समाधान करें. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के फैसले को जो देश मानने से इनकार कर देता है, उसका मामला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भेजा जाता है, लेकिन वहां रूस को वीटो का अधिकार प्राप्त है. यानी वह किसी भी फैसले को पलट सकता है.

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