Holi 2022: होली के हुड़दंग के बीच सेहत की अनदेखी करना सही नहीं है. खासकर, कोरोना से ठीक हो चुके लोगों के लिए खुद को फिलहाल किसी भी एलर्जी से बचाना ही बेहतर होगा. रंगों में कई ऐसे तत्वों की मौजूदगी हो सकती है, जो फेफड़ों से लेकर आंख, कान और त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं. आइए जानें होली की सावधानियों के बारे में
रंगों से होने वाली एलर्जी (Skin Hazards During Holi Festival)
- एग्जिमा: एग्जिमा (eczema) कृत्रिम रंगों से होने वाली एक आम बीमारी है, एग्जिमा के कारण त्वचा सड़ी- गली हो जाती है.
- एटोपिक डर्माटाइटिस (Atopic Dermatitis) : इस एलर्जी के कारण त्वचा में बहुत अधिक खुजली और दर्द होता है तथा छाले भी फूटते हैं.
- राइनिटीज (rinitis): इस स्थिति में नाक में रूकावट, नाक का बहना, खुजली और छींके आती हैं.
- अस्थमा (asthama) : कृत्रिम रंग हमारी सांस लेने वाली नली को भी बाधित कर सकते है़ं, जिसकी वजह से अस्थमा की शिकायत होती है. इस हालत में सांस लेने में दिक्कत होती है और सांस उखड़ती है.
- न्यूमोनिटीज (pneumonitis) : जब यह रंग, मुंह या नाक के द्वारा अंदर चले जाते हैं तो बुखार, सीने में जकड़न, थकान और सांस लेने में परेशानी आती है.
होली खेलने के बाद (After Playing Holi)
बेसन और दही का पेस्ट बनाकर चेहरे पर त्वचा पर लगाएं. थोड़ी देर बाद पानी से धो दें. बालों को नमी देने के लिए मेथी पाउडर में दही मिला लें. त्वचा और बालों को ठंडे पानी से धोएं.
कैसे छुड़ाएं रंग
जब आप रंगों को छुड़ाने की कोशिश करते हैं, तो आपकी त्वचा छिल भी सकती है और इसमें जलन भी पैदा हो सकती है. इसलिए जहांकेरोसिन न लगाएंतक हो सके, प्राकृतिक और हर्बल रंगों या फिर उच्च गुणवत्ता वाले रंगों का ही इस्तेमाल करें. रंग छुड़ाने के लिए ठंडे पानी का इस्तेमाल करें, क्योंकि गर्म पानी से रंग पक्के हो जाते हैं और उन्हें छुड़ाना मुश्किल हो जाता है. त्वचा को साबुन लगाकर, रगड़ कर साफ न करें, इससे त्वचा में खुजली हो सकती है. आप क्लींजर का प्रयोग भी कर सकते हैं. होली के रंग छुड़ाने के लिए ब्लीच आदि न लगाएं. जहां तक हो सके ऑर्गेनिक रंगों का इस्तेमाल करें.
केरोसिन न लगाएं
रंग छुड़ाने के लिए त्वचा पर केरोसिन, पेट्रोल या स्प्रिट लगाने का सुझाव मिले तो उन्हें बिल्कुल न आजमाएं. वजह त्वचा रूखी हो जाएगी. इसकी जगह नीबू के रस की कुछ बूंदें शरीर के रंग वाले हिस्से में डालें. रंग हल्के पड़ जाएंगे.