रायपुर। महिला आयोग की सोमवार को हुई सुनवाई में एक प्रकरण ऐसा आया, जिसमें चूड़ी प्रथा से आवेदिका को पत्नी बनाने के बाद भी उसे सरकारी रिकार्ड में पत्नी का दर्ज देने से इंकार कर रहा था. इस पर अनावेदक पति ने बताया कि सरकारी अभिलेख के नॉमिनी में आवेदिका का नाम दर्ज हो चुका है और उसे एक दुकान भी खोलकर दिया है. इसके साथ अपनी सहमति से तीन हजार रुपए आवेदिका को देना स्वीकार भी किया. प्रकरण के न्यायालय में चलने के कारण आयोग से नस्तीबद्ध किया.

राज्य महिला आयोग की सोमवार को हुई सुनवाई में पंजीबद्ध 29 प्रकरणों में से 7 प्रकरण सुनवाई के पश्चात खत्म किया गया, वहीं 4 प्रकरणों राज्य महिला आयोग कार्यालय के लिए प्रेषित किया गया है. सुनवाई के लिए आए प्रकरणों में मानसिक प्रताड़ना, आर्थिक प्रताड़ना, दहेज प्रताड़ना, मारपीट और संपत्ति विवाद से संबंधित प्रकरण शामिल थे.

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक तथा सदस्य डॉ. अनीता रावटे ने गंभीरतापूर्वक लोगों की समस्याएं सुनी और वस्तुस्थिति अनुसार प्रकरणों संतुष्टिपूर्ण निराकरण किया. जनसुनवाई में अपर कलेक्टर जेआर चौरसिया के साथ जिला कार्यक्रम अधिकारी अशोक पांडे सहित पुलिस प्रशासन भी मौजूद थे.

सुनवाई के दौरान ग्राम नहरगांव में रहने वाले एक परिवार का मामला आया, जिनका अनावेदकों ने सामाजिक बहिष्कार कर रखा है. अनावेदकगण ने इसे स्वीकार करते हुए गांव में समाज के लोगों के बीच आवेदिका और सभी परिवार को सम्मिलित करना स्वीकार किया. इस पर जिला महिला बाल संरक्षण अधिकारी और महिला आरक्षकों के साथ आवेदिका के गांव नहरगांव में आवेदक और अनावेदकों की मौजूदगी में समाज से बहिष्कार को समाप्त करने की घोषणा पर सहमति व्यक्त किया गया.

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अन्य प्रकरण में नौकरी लगाने के नाम पर 5 लाख रुपए लेने वाले के विरूद्ध एफआईआर दर्ज होने पर आवेदिका ने असंतोष जताया. इस पर आयोग ने आवेदिका को न्यायालय में 5 लाख रुपए की वापसी के लिए अपने अधिवक्ता के माध्यम से दिवानी मामला प्रस्तुत करने की समझाइश दी गई. आयोग के आर्डर शीट की छायाप्रति आवेदिका को निःशुल्क दिया गया. इस प्रकरण पर एफआईआर दर्ज हो जाने से नस्तीबद्ध किया गया है.

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