बिलासपुर. प्रदेश में शराब पर लगाए गए 10 प्रतिशत कोरोना टैक्स की राशि के उपयोग ना कि जाने के मामले में पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर, बृजमोहन अग्रवाल, विधायक नारायण चंदेल और शिवरतन शर्मा की जनहित याचिका पर आज सुनवाई हुई. आज चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर तीन हफ्ते में जवाब तलब किया है. इस मामले में अब आगामी 20 अप्रैल को सुनवाई तय की गई है.
याचिका में कहा गया है कि शराब में लगाए गए कोरोना टैक्स से करोड़ों रुपए जमा हुए हैं. इस टैक्स की राशि को कोरोना अधोसंरचना में नहीं लगाई गई है और स्वास्थ्य विभाग को भी पैसे ट्रांसफर नहीं किए गए.जबकि नियमानुसार जिस वजह से टैक्स लिया जाता है, उसका उपयोग उसी अधोसंरचना में किया जाना चाहिए, लेकिन राशि का उपयोग किस तरह किया जा रहा यह स्पष्ट नहीं है और टैक्स अब तक लगातार लिया जा रहा है.
चन्द्राकर की ओर से पेश अधिवक्ता विवेक शर्मा, गैरी मुखोपाध्याय, अभिषेक गुप्ता एवं आयुषी अग्रवाल ने पीठ के सामने तर्क रखते हुए कहा कि राज्य सरकार ने कोरोना काल में अधिसूचना जारी कर देशी शराब की एक पाउच या बोतल पर 10 रूपए और अंग्रेजी शराब पर 10 प्रतिशत का कोरोना सेस लगाया. उससे कुल 653 करोड़ रूपए की राशि वसूल की. इस वसूल राशि में एक भी राशि सम्बधित मद में खर्च नही की गई और न ही स्वास्थ्य विभाग को ही राशि ट्रांसफर की गई.
वहीं इस राशि में से 450 करोड़ रूपए मुख्यमंत्री अद्योसंरचना विकास प्राधिकरण को ट्रांसफर की गई, जबकि अधिसूचना में सेस की राशि से कोरोना के बचाव के लिए अद्योसंरचना विकसित करने में किए जाने का उल्लेख था. यह संवैधानिक दृष्टि से गलत हैं। उन्होने पीठ से जवाबदेही तय कर कार्रवाई की याचना की.
पिछली सुनवाई में जस्टिस संजय के. अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने मामले में सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच को रेफर किया था.
पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में कहा कि राज्य सरकार ने शराब पर कोरोना सेस लगाया है. नियमों के हिसाब से सेस जिस मद के लिए लगाया जाता है, उसमें ही खर्च किया जाना चाहिए, लेकिन सरकार ने दूसरे मदों में राशि खर्च की है. इस मामले को लेकर हमने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, जिस पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है. सड़क से लेकर सदन और कोर्ट तक की लड़ाई हम लड़ेंगे.
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