फीचर स्टोरी । छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत को बचाने, उसे आगे बढ़ाने की दिशा में बीते तीन सालों में जो काम हुआ है, वह अविभाजित मध्यप्रदेश से लेकर नवीन राज्य बनने के 18 सालों तक कभी नहीं हुआ. विशेषकर छत्तीसगढ़ी लोक-संस्कृति-परंपरा को लेकर भूपेश सरकार बेहद ही संजीदा रही है.

बतौर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्य की कला- संस्कृति, खान-पान, रीति-रिवाज-परंपरा को न सिर्फ पुनर्जीवित कर रहे हैं, बल्कि उसे एक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान देने में भी जुटे हैं. छत्तीसगढ़ लोक संस्कृतिक से जुड़े आयोजन अब मुख्यमंत्री निवास में होते हैं, जो कि कभी नहीं होते थे. लोक पर्व की आज गरिमा पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है. छत्तीसगढ़ी अस्मिता के भाव आज छत्तीसगढ़ियों में जाग उठा है. इस भाव को जगाने में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का विशेष योगदान है. उन्होंने राज्य के लोक-पर्व, तीज-त्योहारों में सार्वजनिक अवकाश न सिर्फ घोषित किया, बल्कि उसे महोत्सव के रूप में प्रदेशभर में आयोजित भी किया.

इसी दिशा में भूपेश सरकार ने एक और बड़ी कोशिश की रामायण मानस मंडली प्रतियोगिता आयोजित करने की. इस आयोजन को लेकर प्रदेशभर में उत्साह का वातावरण है. छत्तीसगढ़ जहाँ के कण-कण में भगवान राम विराजित हैं. जहाँ के पग-पग में रामायणकाल के चिन्ह मिलते हैं. ऐसे प्रदेश में रामायण मानस मंडली का आयोजन निश्चित सराहनीय है.

छत्तीसगढ़ जिसे दुनिया में भगवान राम का ननिहाल कहा जाता है. माना जाता है कि माता कौशल्या की जन्मभूमि छत्तीसगढ़ है. छत्तीसगढ़ का चंदखुरी ही त्रेतायुग में चंद्रपुरी थी. चंदखुरी में स्थापित देवी मंदिर माता कौशल्या मंदिर के नाम से विख्यात है. लिहाजा सरकार अंतर्राष्ट्रीय पहचान देने की दिशा में तेजी से जुटी हुई है.

माता कौशल्या के धाम से लेकर भगवान राम वनवासकाल में जहां-जहां से गुजरे, उन सभी जगहों को पर्यटनपथ के तौर विकसित किया जा रहा है. भगवान राम का ननिहाल होने की वजह से छत्तीसगढ़ के लोग भगवान राम को भांचा राम के रूप में पूजते हैं. राम को भांजा मानने की परंपरा देशभर में और कहीं देखने को मिलती है. छत्तीसगढ़ एक ऐसा प्रदेश जहां श्रीराम भगवान भी और लोक-परंपरा में भांजा भी.

छत्तीसगढ़ में यह परंपरा वाचिक रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी लोक गायन में रामायण मंडली में हस्तांरित होती रही है. छत्तीसगढ़ के इसी रामायणी लोक-परंपरा को अब भव्य रूप देने में सरकार सामने आई है.

पंचायत से लेकर राज्य स्तर तक आयोजन

बता दें कि संस्कृति विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ की रामायण मंडलियों के कलाकारों के संरक्षण, संवर्धन और कलादलों को प्रोत्साहित करने के लिए ’रामायण मंडली प्रोत्साहन योजना 2021’ प्रारंभ की गई है. इस योजना के तहत ग्राम पंचायत स्तर से लेकर राज्य स्तर तक रामायण मंडलियों की प्रतियोगिता का आयोजन प्रारंभ हो गया है. ग्राम पंचायत स्तर पर 10 से 15 मार्च तक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है.

इसी तरह ब्लॉक स्तर पर 15 से 31 मार्च तक प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं. जिला स्तर पर 03 से 05 अप्रैल तक प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी. इसके बाद जांजगीर-चांपा जिले में स्थित तीर्थ नगरी शिवरीनारायण में राज्य स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन 8 से 10 अप्रैल तक किया जाएगा. राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले दल को 5 लाख रूपए, द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाली रामायण मंडली को 3 लाख रूपए और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले दल को 2 लाख रूपए की राशि पुरस्कार स्वरूप प्रदान की जाएगी.

राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में लगभग 250 से 300 रामायण मंडली शामिल होंगी. ग्राम पंचायत स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली रामायण मंडली को 5000 रूपए, ब्लॉक स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली रामायण मंडली को 10 हजार रूपए तथा जिला स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली रामायण मंडली को 50 हजार रूपए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी.

चिन्हारी पोर्टल में 5811 रामायण मंडली पंजीकृत

संस्कृति विभाग के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 20619 ग्राम की 11 हजार 664 ग्राम पंचायतों के लगभग सभी ग्रामों में रामायण मंडलियां एवं शहरी क्षेत्रों में नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम के प्रत्येक वार्डों में रामायण मंडलियॉं सक्रिय हैं. संस्कृति विभाग के चिन्हारी पोर्टल में 5811 रामायण मंडली पंजीकृत हैं.

7000 मंडलियों को विशेष प्रोत्साहन राशि

रामायण मंडली प्रोत्साहन के अंतर्गत चिन्हारी पोर्टल में पंजीकृत रामायण मंडलियों को विशेष प्रोत्साहन के तहत वर्ष में एक बार 5000 रूपए की प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है. आगामी दो वर्ष ये मंडलियां प्रोत्साहन राशि के लिए अपात्र होगी. इस योजना में लगभग 7000 मंडलियों को प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान रखा गया है.

आयोजन में ये तमाम लोग शामिल

प्रतियोगिता के आयोजन के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर सरपंच, सचिव की अध्यक्षता में, ब्लॉक स्तर के लिए एसडीएम की अध्यक्षता में और जिला स्तर की प्रतियोगिता के आयोजन के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय निर्णायक मंडल का गठन किया गया है. इन समितियों में एक सदस्य लोक कला से संबंधित हैं. राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए संस्कृति विभाग के आयुक्त अथवा संचालक की अध्यक्षता में निर्णायक मंडल का गठन किया गया है. इसमें दो शासकीय सदस्य और दो अशासकीय सदस्य शामिल किए गए हैं. इस आयोजन के लिए राज्य शासन द्वारा संस्कृति विभाग के प्रशासनिक विभाग और संचालनालय संस्कृति एवं पुरातत्व को नोडल एजेंसी बनाया गया है. इस प्रतियोगिता में ऐसी रामायण मंडलियां शामिल होंगी, जिनका संस्कृति विभाग के चिन्हारी पोर्टल में पंजीकृत है. इसके साथ तीन वर्षो तक गांवों, कस्बों, ग्रामीण इलाकों में लोकप्रिय कलादल और नवोदित कलाकार भी इस प्रतियोगिता में शामिल हो सकेंगे.

गांव-गांव में नवधा रामायण

छत्तीसगढ़ में राम नाम की गूंज सदियों से है. गांव-गांव में नवधा रामायण की प्राचीन परंपरा है. कई गांवों में आज भी दिसम्बर-जनवरी के महीने में नवधा रामायण का आयोजन किया जाता है. वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को सप्ताहिक रामायण, सवनाही रामायण, नवधा रामायाण कहा जाता है. राज्य सरकार अब इसी परंपरा को और आगे बढ़ाने में जुट गई है. इसका फायदा गांव के मानस मंडलियों को सीधे तौर पर होगा. सरकार की ओर बकाया इसे योजना के तौर पर शामिल किया गया है. छत्तीसगढ़ राजपत्र में दिनांक 01 अक्टूबर 2021 को रामायण मंडली प्रोत्साहन योजना 2021 का प्रकाशन किया गया है.

राम नाम का भाव, गांव-गांव में गूंज

राज्य सरकार की पहली बार आयोजित किए जा रहे इस आयोजन को लेकर प्रदेश के मानस परिवारों में उत्साह का माहौल है. गांव-गांव में राम नाम के भाव की गूंज है. इस आयोजन से न सिर्फ राममय वातावरण का संचार होगा, बल्कि छत्तीसगढ़ की लोक-संस्कृति-परंपरा का प्रचार होगा. इसमें कोई संदेह नहीं कि आने वाले दिनों में इसका व्यापक असर राज्य में दिखाई देगा.