रायपुर.राजधानी रायपुर के कपड़ा मार्केट के साथ रियल इस्टेट,मेडिकल,सराफा,इलेक्ट्रानिक्स,स्टील से लेकर दालों का कारोबार करने वाले व्यापारियों ने जो करोड़ों रुपये हुंडी पर लिये हैं,वे वापस नहीं कर पा रहें हैं. राजधानी में एक दर्जन से ज्यादा बड़े व्यापारियों ने 300 करोड़ रुपये देने से हाथ खड़े कर दिये हैं. ये व्यापारी पैसे देने की स्थिति में नहीं हैं. व्यापारी ब्याज न देने के साथ महज मूलधन,वह भी एक से दो साल बाद देने का समझौता कर रहे हैं.
प्रदेश में हर तरह से व्यापार की स्थिति बहुत नाजुक दौर में है.राजधानी रायपुर इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित है.रायपुर में हुंडी पर पैसा देने वालों के साथ पैसे दिलाने का काम करने वाले ब्रोकरों की भरमार है.हुंडी का 80 फीसदी कारोबार चूंकि कच्चे में चलता है,ऐसे में कच्चे में पैसा देने वाले ज्यादा परेशानी में पड़ गयें हैं.इनका पैसा ऐसा फंसा है कि वापस ही नहीं मिल रहा है.
आम लोगों के भी फंसे पैसे
हुंडी के कारोबार में महज बड़े पैसे वाले ही नहीं जुड़े हैं,बल्कि इस कारोबार से आम लोग जो नौकरी पेशा हैं,वो भी जुड़े हैं.जिनके पास अपनी बचत रहती है,वे ब्रोकरों के माध्यम से ज्यादा ब्याज मिलने के कारण अपना पैसा लगा देतें हैं.छोटे व्यापारियों को पांच से दस लाख रुपये तक की रकम ब्रोकर ऐसे लोगों से ही लेकर देतें हैं.अब ऐसे लोगों के भी करोड़ों रुपये बाजार की स्थिति खराब होने से फंस गई है.
कई ने किया सरेंडर
राजधानी के साड़ी के दो बड़े व्यापारियों ने हुंडी पर ब्रोकरों के माध्यम से करोड़ों रुपये लिये हैं.इन व्यापारियों ने हाथ खड़े कर दिये हैं.जानकारों की मानें तो इन व्यापारियों ने जिनसे हुंडी पर पैसा लिया है,उनके साथ बैठक कर समझौता किया है कि वे ब्याज तो किसी भी हाल में नहीं दे सकते.इसी के साथ मूलधन लौटाने के लिये कम से कम एक साल का समय चाहा है.इसी तरह मेडिकल में आधा दर्जन से ज्यादा रियल इस्टेट,स्टील,सराफा,दाल व्यापारियों को मिलाकर एक दर्जन से ज्यादा ऐसे बड़े व्यापारियों ने हाथ खड़े किये हैं,जिन्होंने हुंडी बाजार से 300 करोड़ से ज्यादा की रकम ले रखी है.साथ ही सैकडो़ं छोटे व्यापारी हैं,जिन्होनें दस-बीस लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक ले रखें हैं.ये भी ब्याज देने की स्थिति में नहीं हैं.सभी ने ब्याज देने से मना कर दिया है.हुंडी का काम करने वाले भी चाहतें हैं कि उन्हें ब्याज भले न मिले, लेकिन कम से कम मूल तो वापस मिल जाये,यही वजह है कि रोज व्यापारियों और हुंडी का काम करने वालों के बीच समझौते हो रहें हैं.
रिस्क लेने वाले ब्रोकर परेशान
हुंडी बाजार के लिये जो ब्रोकर काम कर रहें हैं, उनमें रिस्क लेने वाले ब्रोकर भी ज्यादा परेशानी में हैं.ये ब्रोकर जिन्हें पैसा दिलातें हैं,उनसे वापस दिलाने का रिस्क इनका रहता है.ऐसे ब्रोकरों को हुंडी पर पैसा देने वाले आजकल ज्यादा परेशान कर रहें हैं.ऐसी ही परेशानी से परेशान राजनांदगांव के एक ब्रोकर ने खुदकुशी की है,जो ब्रोकर रिस्क नहीं लेते और सीधे हुंडी पर पैसा देने वालों से बात करा देतें हैं,उन्हें परेशानी तो नहीं है,लेकिन बाजार की हालत खराब होने के कारण ये भी परेशान चल रहें हैं.ब्रोकर को भी उनका कमीशन देने से व्यापारियों ने हाथ खड़े कर दिये हैं.ब्रोकर एक लाख पर तीन से पांच सौ रुपये हर माह अपना कमीशन लेतें हैं.
दबाव में एक ब्रोकर कर चुका है आत्महत्या
गौरतलब है कि बाज़ार में हुंडी में पैसा वापस नहीं मिल पाने की बात तब सामने आई थी जब राजनांदगाँव में एक ब्रोकर महावीर चौरडिया ने ट्रेन के नीचे कूदकर आत्महत्या कर ली थी. महावीर ने आत्महत्या करने के पहले एक सुसाइड नोट लिखा और अपने मित्रों को व्हाट्सअप पर एक ऑडियो भी वायरल किया. सुसाइड नोट और वायरल आॅडियो में ब्रोकर ने आत्महत्या के पीछे उन व्यापारियों के दबाव को जि़म्मेदार ठहराया था जिन्होंने उनके पास पैसे जमा कराए थे. वसूली के लिए लगातार आ रहे व्यापारियों के फोन से तंग आकर उसने मौत को गले लगा लिया. तभी ये बात लोगों को लगने लगी कि हुंडी में बाज़ार का बड़ा पैसा फंसा हुआ है. इस मामले में आरोपी फरार हैं. करीब सप्ताह भर बीत जाने के बाद भी अब तक पुलिस ने इस मामले में कोई गिरफ्तारी नही की है.