नीरज काकोटिया, बालाघाट। कहते हैं कि मरने के बाद आत्मा को स्वर्ग पहुंचने के लिए वैतरणी नदी पार करनी पड़ती है. जिनके परिजन गाय दान करते हैं उसकी आत्मा को गऊ माता वैतरणी नदी पार कराने में मदद करती है, लेकिन मध्यप्रदेश के बालाघाट में एक बुजुर्ग के शव को श्मशान घाट तक ले जाने के लिए रास्ता नहीं मिला. पड़ोसी से रास्ते को लेकर विवाद के कारण मौत के 10 घंटे से अधिक समय बीत जाने के बाद भी उसका अंतिम संस्कार नहीं हो पाया.

दरअसल, बालाघाट नगर पालिका क्षेत्र के वार्ड नंबर 8 बिझवार मोहल्ला में रहने वाले भाऊराव अमुलकर की आज सुबह 6 बजे निधन हो गया, लेकिन पड़ोसी से रास्ते को लेकर विवाद के चलते शव को घर से श्मशान घाट तक ले जाने के लिए रास्ता नहीं मिला। इस कारण खबर लिखे जाने तक उसका अंतिम संस्कार नहीं हो पाया है.

ये है पूरा मामला

बताया जाता है कि भाऊराव अमुलकर के परिवार का पड़ोसी से जमीन को लेकर विवाद चल रहा है. पड़ोसी ने बाउंड्री वॉल कर रास्ता बंद कर दी है, जिसके बाद एक दूसरा पड़ोसी परिवार शिवलाल है, जिसने अपने घर के भीतर से मृतक भाऊराव के परिवार को जाने-जाने की सुविधा दी थी, लेकिन आज भाऊराव की मौत होने के बाद शिवलाल भी अपने घर के भीतर से शव निकालने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. इसके चलते दोपहर तीन बजे तक भाऊराव का दाह संस्कार नहीं हो पाया।जबकि मृतक की मौत की सूचना पर तमाम रिश्तेदार पहुंच गए हैं और रास्ते के अभाव में शव को दाह संस्कार के लिए नहीं ले जा पा रहे हैं.

दूसरी ओर पिता के दाह संस्कार के लिए उनका बेटा राकेश अमुलकर पुलिस, तहसील कार्यालय और कलेक्टर परिसर के चक्कर लगा रहा है. जिससे कि प्रशासन स्तर से कुछ रास्ता निकल आए. फिलहाल इस मामले को पुलिस ने संज्ञान में लिया है, लेकिन रास्ते का विवाद अभी भी अटका हुआ है. जिसके कारण दाह संस्कार का कार्यक्रम अब तक नहीं हो सका है.

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