बिलासपुर. प्राचार्य पद पर प्रमोशन के लिए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 5 वर्ष के अनुभव के नियम को हाईकोर्ट ने सही ठहराया है. इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं पर जुर्माना भी लगाया है.
2018 में संविलियन किये गए शिक्षको ने पदोन्नति हेतु याचिका लगाई थी. छतीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग में प्राचार्य पद पर प्रमोशन हेतु छतीसगढ़ विद्यालय शिक्षा सेवा ( शैक्षिक व प्रशासनिक संवर्ग) भर्ती एवम प्रोन्नति नियम 2019 के नियम 14 व 15 के अंतर्गत अधिनिमित अनुसूचि के अनुसार व्याख्याता के पद पर 5 वर्ष के अध्यापन का अनुभव होना अनिवार्य है.
इन्होंने लगाई थी याचिका
याचिकाकर्ता अनिल कुमार, अमृतलाल साहू, तोशन प्रसाद, राजेश शर्मा, हेमलता वर्मा व अन्य ने याचिका दाखिल कर प्राचार्य के पद पर प्रमोशन की मांग की. याचिका में उन्होंने बताया कि वे 10 जुलाई 1998 में पंचायत विभाग में शिक्षा कर्मी ग्रेड वन नियुक्त हुए थे. उनका 28 सितंबर 2018 को स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन हुआ है. जब प्राचार्य पद पर प्रमोशन की प्रक्रिया शुरू हुई तो उन्हें 5 वर्ष के अनुभव नहीं होने के आधार पर अपात्र कर दिया गया.
याचिकाकर्ताओ ने अपने पूर्व के अनुभव को के भी सेवाकाल में जोड़ने की मांग की थी पर स्कूल शिक्षा विभाग ने इसे अस्वीकार कर दिया. जिसके बाद सभी ने हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की. दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के पश्चात जस्टिस संजय के अग्रवाल की सिंगल बेंच ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं पर 20 हजार जुमार्ना लगाने के निर्देश दिए हैं.
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