कुमार इंदर,जबलपुर। मध्यप्रदेश की न्यायधानी जबलपुर में दूध 62 रुपए लीटर बिक रहा है. अब दूध के दाम को लेकर नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने सरकार को नोटिस भेजा है. नोटिस में कहा गया है कि हाईकोर्ट में मामला लंबित होने के बाद भी दूध के दाम क्यों बढ़ाए गए ? हाईकोर्ट ने पहले ही जनहित याचिका लगी हुई है. जनहित याचिका पर अब तक सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया है.

जबलपुर हाईकोर्ट सरकार से दूध की मॉनिटरिंग को लेकर सवाल जवाब कर चुका है. 2 साल बीतने के बाद भी सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है. सरकार से जवाब न मिलने पर मार्गदर्शक मंच फिर से हाईकोर्ट जाएगा. जिले में दूध के दाम प्रदेश से सबसे ज्यादा है. जबलपुर में दूध 62 रुपए लीटर मिल रहा है.

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नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने सरकार को भेजे नोटिस में लिखा है कि हाईकोर्ट में लंबित जनहित याचिका की अनदेखी कर कलेक्टर ने बगैर मॉनिटरिंग करें जबलपुर में दूध के रेट 62 रूपये. तय किए. इन्हें खारिज कर जबलपुर में दूध के रेट भोपाल, इंदौर ग्वालियर, उज्जैन के समान किया जाए. यह मांग कर आज याचिकाकर्ता डॉ.पी.जी. नाजपांडे ने सचिव, खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्रालय को ईमेल से नोटिस भेजा है.

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याचिकाकर्ता ने मप्र हाईकोर्ट में W.P. 5012/2019 जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें शासन दूध के रेट तय करे, मानिटरिंग करे, यह निवेदन किया था. हाईकोर्ट ने 13.10.2020 को निर्देश जारी किया था कि सरकार 4 सप्ताह के भीतर जबाव प्रस्तुत करे, लेकिन आज दो वर्ष होने जा रहे हैं फिर भी सरकार ने चुप्पी साधी है. याचिका अभी लंबित है. हाईकोर्ट ने निर्देश जारी किया कि सरकार आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत दूध के रेट तय करे. इस पर सरकार ने स्वयं 13.04.2007 में दूध के रेट आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत तय किये हैं.

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एक अन्य जनहित याचिका में सरकार ने स्वयं कलेक्टर जबलपुर को 24.03.2006 को निर्देश जारी कर कहा है कि दूध के रेट की मॉनिटरिंग करें, लेकिन यह सभी आदेशों की अनदेखी की गई है. न तो लम्बित याचिका पर अभी तक जवाब प्रस्तुत किया है. न ही कलेक्टर जबलपुर रेट्स की मॉनिटरिंग कर जबलपुर में दूध के रेट्स तय किये हैं. जबकि इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और उज्जैन में पैकेजिंग और पाश्चुराइजेशन कर सस्ते रेट में दूध बेचा जा रहा है. इन रेट्स के समान ही जबलपुर में दूध के रेट्स होना चाहिए.

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