रायपुर. राज्यपाल अनुसुईया उइके का आज जन्मदिन है. इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुभकामनाएं दी है. इसके अलावा उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने भी राज्यपाल को जन्मदिन की बधाई दी. प्रदेश के भी सभी दिग्गज नेता उन्हें शुभकामनाएं दे रहे हैं.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने फोन पर जन्मदिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी. उन्होंने ईश्वर से उनके यशस्वी, दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना की. राज्यपाल ने भी राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया और उन्हें रामनवमी की शुभकामनाएं दीं.

उपराष्ट्रपति ने भी दी बधाई

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने भी राज्यपाल को फोन कर जन्मदिन की बधाई दी. साथ ही ईश्वर से उनके यशस्वी, सुदीर्घ और स्वस्थ जीवन की कामना की. राज्यपाल ने भी उपराष्ट्रपति को धन्यवाद दिया और उन्हें रामनवमी की शुभकामनाएं दीं.

राज्यपाल का जीवन परिचय

राज्यपाल अनुसुईया उइके का जन्म 10 अप्रैल 1957 को ग्राम रोहनाकला जिला छिंदवाड़ा मध्यप्रदेश में हुआ था. उनके पिता का नाम स्वर्गीय श्री लखनलाल उइके है. अनुसुइया उइके छात्र जीवन से ही सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेती रही हैं.

वे अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर और एल.एल.बी. I Yr की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद शासकीय महाविद्यालय तामिया, जिला-छिन्दवाड़ा (म.प्र.) में सन् 1982 से 1985 तक अर्थशास्त्र की व्याख्याता रही हैं. उसके बाद शासकीय सेवा से त्यागपत्र देकर विधानसभा चुनाव लड़ा. वे सन् 1985 से 1990 तक विधानसभा क्षेत्र दमुआ से विधायक रही हैं और मध्यप्रदेश शासन में वर्ष 1988 से 1989 तक महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री रही हैं. साथ ही वे राज्य और राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न आयोगों के सदस्य रह चुकी हैं.

जागरुक विधायक के तौर पर सम्मानित

वे 04 अप्रैल 2006 से 04 अप्रैल 2012 तक राज्यसभा सदस्य रही हैं. उन्हें दलित समाज के उत्थान के लिए किये गए विशिष्ट कार्यों के लिए 06 दिसंबर 1990 को डॉ. भीमराव अंबेडकर फैलोशिप से सम्मानित किया गया था. इसके साथ ही 21 सितंबर 1989 को उत्कृष्ट कार्य करने के लिए तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ जी द्वारा जागरूक विधायक के रूप में सम्मानित किया गया था.

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22 राज्यों और 80 जिलों का भ्रमण कर तैयार किया प्रतिवेदन

सुश्री उइके ने विधायक और सांसद के पद पर रहते हुए मास्को, जिनेवा, लंदन, मलेशिया, जाम्बिया, मलावी, बोत्सवाना इत्यादि देशों की विदेश यात्रा की हैं. उनके द्वारा आदिवासी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए 22 राज्यों के 80 जिलों का भ्रमण करने के बाद प्रतिवेदन तैयार किया और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी जी को प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया था. बता दें कि उइके सन् 1998 से 1999 तक अध्यक्ष भूमि विकास बैंक जिला-छिन्दवाड़ा, अध्यक्ष मध्यप्रदेश राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग (जनवरी 2006 से मार्च 2006 तक), सदस्य राष्ट्रीय महिला आयोग भारत सरकार (वर्ष 2000 से 2003), पुनर्नियुक्ति 2003 से 2005 जून तक रही हैं.

2019 से छत्तीसगढ़ की राज्यपाल है अनुसुईया उइके

राज्यसभा सांसद के पद पर रहते अनुसुईया उइके विभिन्न संसदीय समिति, हिन्दी सलाहकार समिति, सलाहकार समिति महिला एवं बाल विकास भारत सरकार, रेलवे सलाहकार समिति, टेलीफोन एडवाइजरी कमेटी, अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों की कल्याण संबंधी समिति समेत अन्य समितियों की सदस्य रही हैं. वे 16 जनवरी 2017 से राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष रही हैं. इसके बाद वे 29 जुलाई 2019 से छत्तीसगढ़ की राज्यपाल हैं.

राज्यपाल का कार्यकाल

  • राज्यपाल अनुसुईया उइके के छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बतौर 29 जुलाई 2022 को तीन वर्ष पूरे हो रहे हैं. इन तीन वर्षों के दौरान छत्तीसगढ़ की जनता को यह महसूस हुआ कि राजधानी रायपुर में स्थित राजभवन आम जन के लिए खुला है. राजभवन के दरवाजे कोई जरूरतमंद आता है, तो कई बार बिना प्रोटोकाल के भी उनसे मुलाकात की और उनकी समस्या के समाधान के लिए प्रयास किया. लोग छत्तीसगढ़ के कोने-कोने से राजभवन पहुंचने लगे हैं और बड़ी आस लेकर आते हैं.
  • उन्होंने छत्तीसगढ़ के लगभग हर क्षेत्र का दौरा किया और उनके रहन-सहन और संस्कृति को करीब से देखा. साथ ही उनकी समस्याओं के बारे में भी जाना. सरगुजा, बस्तर, कांकेर एवं नारायणपुर जिले के हजारों आदिवासियों लंबी पदयात्रा कर जब उनसे मिलने आए तब उनकी समस्याओं को दूर करने का प्रयास कियाा है.
  • राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष रहते राउरकेला स्टील संयंत्र की स्थापना के समय के विस्थापितों को हटा कर मुआवजा पचास साल तक नहीं दिए जाने की शिकायत पर उनके बचे मुआवजे दिलवाए.
  • 1954 से 1957 तक बने संयंत्र के लिए बीस हजार एकड़ जमीन अधिगृहीत की गई थी. 3000 लोगों को उनकी खोई हुई जमीन के बदले जमीन नहीं मिली थी तो उनको जमीन दिलवाने के लिए पहल की.
  • वे आदिवासियों के हित की बात वे बस्तर से लेकर नई दिल्ली तक भी करती रही हैं. राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली में आयोजित राज्यपालों के सम्मेलन में उन्होंने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क और बिजली की सुविधाओं के लिए अलग बजट का प्रावधान करने और सरगुजा और बस्तर में आदिवासी विश्वविद्यालय खोलने का आग्रह किया.
  • उनकी पहल से ट्राईफेड द्वारा जगदलपुर में दो नए ट्राईब्स इंडिया बिक्री केंद्र शुरू हुए. उन्होंने तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों के बच्चों की लंबित छात्रवृत्ति जारी करने के संबंध में निर्देश दिए थे. जिस पर वन विभाग ने त्वरित कार्रवाई की.
  • विश्व की सबसे भयावह महामारी कोरोना के संक्रमण के दौरान उन्होंने आम जनता की सहायता के लिए भरसक प्रयास किए. समय-समय पर जनप्रतिनिधियों को इस संबंध में आवश्यक निर्देश भी दिए.
  • कुलाधिपति के नाते उन्होंने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को कोरोना के संबंध में, विद्यार्थियों के जरिए जनता में जागरूकता लाने के लिए भी निर्देश दिए.
  • दंतेवाड़ा बस्तर प्रवास के दौरान उन्होंने आत्मसमर्पित नक्सलियों से मिलकर उनके पुनर्वास के लिए विशेष प्रयास करने का भरोसा दिलाया था. साथ ही दंतेश्वरी महिला कमांडो से भी भेंट कर नक्सली उन्मूलन में उनकी भूमिका की सराहना की.