राजस्थान। दंत कथाओं और मान्यता की बात करें तो जालोर जिले में भी रामेश्वरम जैसा शिवालय है. कहा जाता है कि 14 साल के वनवास के दौरान भगवान ने यहां शिवलिंग स्थापित कर पूजा की थी. जहां अब बरसों पुराना आपेश्वर महादेव मंदिर बन चुका है.
वर्तमान में जसवंतपुरा उपखंड क्षेत्र के रामसीन कस्बे के पास विश्राम किया था. रात रुकने के बाद इस गांव का नाम भी रामशयन हो गया था, जो कालांतर में अपभ्रंश होते हुए रामसेन और रामसीन के नाम से जाना जाता है.
जसवंतपुरा उपखंड क्षेत्र की उप तहसील रामसीन काफी बड़ा कस्बा है. यहां पर करीब 10 हजार के करीब आबादी है. इस कस्बे का सबसे पहले नाम रामशयन था, उसके बाद रामसेन एवं अब रामसीन हुआ है. वर्तमान में पोस्ट ऑफिस में भी इस गांव का नाम रामसीन नहीं होकर रामसेन ही है.
आपेश्वर सेवा ट्रस्ट रामसीन के व्यवस्थापक छोगालाल राव बताते हैं कि दंत कथाओं में राम के रामसीन में रात्रि विश्राम करना बताया जाता है. इस कारण ही गांव का नाम भी पहले रामशयन पड़ा था. आपेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग की स्थापना भी राम के हाथ से होना बताया जाता है.
रामनवमी को लेकर रविवार को जालोर शहर में भव्य शोभायात्रा निकलेगी. शोभायात्रा को भव्य बनाने के लिए विश्व हिंदू परिषद जुटी हुई है. शोभायात्रा में हाथी, घोड़ों, ऊंटों और 21 रथों पर श्रीराम, लक्ष्मण और सीता माता, राधे कृष्णा, हनुमानजी, दुर्गामाता, भारत माता, विष्णु भगवान लक्ष्मीनारायण, शिव पार्वती, रानी लक्ष्मीबाई, शिवाजी महाराज, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, महाराणा प्रताप, सिंधी समाज से झुल्लेलालजी वैष्णव समाज से रामानुजाचार्यजी आदि विभिन्न देवी देवताओं-महापुरुषों की झांकियां होंगी.
शोभायात्रा तिलक द्वार स्थित भारत माता चौक से शुरू होकर हरिदेव जोशी सर्किल से पंचायत समिति बड़ी पोल के अंदर, घांचियों की फलानी, सुभाष मार्केट, सदर बाजार,गांधी चौक, सूरज पोल के बाहर हॉस्पिटल चौराया से बाबा रामदेवजी के मंदिर में महाआरती के साथ संपन्न होगी.
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