रायपुर। यूक्रेन युद्ध की वजह से मेडिकल की पढ़ाई बीच में छोड़कर वापस लौटे छत्तीसगढ़ के 207 छात्रों ने भारत के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश की मांग की है. इसके लिए इन छात्रों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और मंत्रियों से मुलाकात करने के साथ केंद्र को पत्र लिखने के बावजूद अब तक इस दिशा में कार्रवाई आगे नहीं बढ़ने पर आगे की रणनीति बनाई है.

यूक्रेन से लौटे छात्रों और उनके परिजनों की रायपुर के राजीव नगर स्थित जीवन विहार परिसर में बैठक हुई. इसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से एक बार फिर मुलाकात कर मेडिकल कॉलेजों में स्थाई प्रवेश का मुद्दा विचाराधीन रहने तक पढ़ाई की निरंतरता बनाए रखने के लिए छात्रों की अस्थाई और क्लिनिकल प्रैक्टिस की मांग रखने का फैसला लिया गया. मीटिंग में इस बात पर भी चर्चा की गई कि राष्ट्रीय स्तर के नेताओं और मंत्रियों तक अपनी बात कैसे आगे बढ़ाई जाए, जिससे इन छात्रों को जल्द से जल्द स्थाई रूप से भारत के मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन दिलाया जा सके.

आने वाले दिनों में प्रदेश के लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों के साथ राज्यपाल और केंद्रीय स्तर के नेताओं से भी 23 अप्रैल तक मुलाकात की रणनीति बनाई गई. इसके बाद आगे की रणनीति 24 तारीख को होने वाले प्रांतीय स्तर की बैठक में तय करने का फैसला लिया गया.

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बैठक में शामिल छात्रों की एक ही मांग थी कि यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई बीच में छोड़कर वापस लौटे छात्रों को बिना किसी शर्त के भारत के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश दिया जाए क्योंकि वे सभी नीट क्वालिफाइड हैं, यह सभी अपने-अपने समय में अपने स्कूलों के प्रतिभाशाली बच्चे रहे हैं, और नीट की परीक्षा भी इन्होंने उच्चतम अंकों से उत्तीर्ण की है. अभी भी भारत के मेडिकल कॉलेजों में इन बच्चों से कम अंक वाले छात्र अध्ययनरत हैं. इन बच्चों का दो। सिर्फ यह है कि यह सभी निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं, और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की लाखों रुपए की फीस देने की क्षमता नहीं रखते.

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बैठक में मुख्य रूप से पेरेंट्स की ओर से अनिल शर्मा, केके शर्मा, राकेश, मनोज नायडू एवं अन्य माता-पिता मौजूद थे. वहीं छात्रों में मयंक, अमन शर्मा, लोमेश तथा अन्य शामिल थे. बैठक में अंबिकापुर, जगदलपुर व अन्य दूरस्थ अंचल के प्रभावित छात्र और उनके परिजन मौजूद थे. बैठक में सभी ने एकमत थे कि यह संघर्ष सफलता प्राप्त करने तक अनवरत रूप से जारी रहेगा.