नई दिल्ली. देश का करोड़ों रुपया लेकर फरार होने वाले विजय माल्या, नीरव मोदी और विक्रम कोठारी ये काम अगर किसी दूसरे देश में करते तो उनके साथ उस देश का कानून क्या सलूक करता. हमारे देश में तो ये सभी पैसे डकारकर फरार हो गए लेकिन अगर ये चीन में होते तो उनके खिलाफ क्या कार्रवाई होती.

हमारे देश में एनपीए एक बड़ी समस्या है और इसकी वजह कंपनी को लेकर बने नियम माने जा सकते हैं वरना एक डिफाल्टर नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक की कार्रवाई के बाद ये नहीं कह पाता कि बैंक ने उसके ब्रांड को नुकसान पहुंचाया है. लेकिन चीन के नियम कड़े हैं. वहां डिफाल्टरों से कई अधिकार छीन लिए जाते हैं.

चीन की सुप्रीम पीपल्स कोर्ट ने हाल में 67 लाख से ज़्यादा बैंक डिफ़ॉल्टरों को काली सूची में डाल दिया है. इसका मतलब ये कि वो विमान से सफ़र नहीं कर सकते, लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन नहीं कर सकते और उन्हें प्रमोशन भी नहीं मिलेगा.

ग्लोबल टाइम्स की ख़बर के मुताबिक अब तक चीनी सरकार ने 61.5 लाख लोगों को विमान टिकट ख़रीदने और 22.2 लाख लोगों के तेज़ रफ़्तार रेलगाड़ियों में सफ़र करने पर पाबंदी लगा दी है. कोर्ट ने जिन डिफ़ॉल्टर्स को ब्लैकलिस्ट किया है, उनमें सरकारी नौकर, स्थानीय विधायिका और राजनीतिक सलाहकार संस्थाओं के सदस्य और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ चाइना के प्रतिनिधि शामिल हैं.

बिज़नेस इनसाइडर की  पिछले साल दिसंबर की एक ख़बर के मुताबिक चीन ऐसी पब्लिक ब्लैकलिस्ट रखता है जो कर्ज़ डकारने वालों की आवाजाही और सामान ख़रीदने तक पर पाबंदी लगाता है. यही नहीं, चीन की सबसे बड़ी अदालत अपनी वेबसाइट पर ऐसे लोगों के नाम और आईडी नंबर छापती है. ये लोग न तो विमान और हाई-स्पीड रेलगाड़ी में सफ़र कर सकते हैं बल्कि उनके बच्चे भी महंगे स्कूलों में नहीं पढ़ सकते.

डिफ़ॉल्टर तीन-सितारा या उससे ज़्यादा महंगे होटलों में ठहर नहीं सकते. इसके अलावा अगर वो सिविल सर्विस से जुड़ना चाहते हैं तो उन्हें मुश्किल परीक्षा से गुज़रना होता है. कार बुक कराने के लिए ज़्यादा पैसा ख़र्च करना होता है. ये पाबंदियां आईडी नंबर के ज़रिए लगाई जाती थीं. कुछ लोगों ने सफ़र करने पर लगी रोक से बचने के लिए अपने पासपोर्ट इस्तेमाल करने शुरू किए, लेकिन अब वो ख़ामी भी दूर कर दी गई है.

ये लिस्ट साल 2013 में शुरू की गई थी और उस समय इसमें 31 हज़ार से ज़्यादा नाम थे. तब से दिसंबर, 2017 तक इसमें क़रीब 90 लाख लोग जुड़े. साल 2017 की शुरुआत में चीन में एक ऐसे ही कर्ज़दार के पहले दर्जे से विमान सफ़र करने पर 15 हज़ार डॉलर का जुर्माना लगाया गया था.