गौरव जैन, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही. मंहगाई भत्ता संघर्ष मोर्चा के सभी अधिकारी-कर्मचारी 11 से 13 अप्रैल तक धरने पर बैठे हैं. जिले के सारे शासकीय कार्यालयों में ताले बंदी जैसा माहौल है. इनकी मांग है कि इन्हें भी केन्द्र की तरह 34 प्रतिशत मंहगाई भत्ता और सातवें वेतनमान के मुताबिक गृहभाड़ा भत्ता दिया जाए. इसके अलावा ये संगठन छत्तीसगढ़ सरकार से बकाया 17 प्रतिशत मंहगाई भत्ता और गृहभाड़ा भत्ता की मांग कर रहा है.

केंद्रीय कर्मचारियों को 34 प्रतिशत महंगाई भत्ता दिया जा रहा है. जबकि छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों को उससे आधा 17 प्रतिशत महंगाई भत्ता दिया जा रहा है. इसे लेकर कर्मचारियों में सरकार के खिलाफ भारी नाराजगी है. पिछले 28 महीने से लगातार कर्मचारियों का महंगाई भत्ता रोका जा रहा है. संघर्ष मोर्चा का कहना है कि केंद्र सरकार के जितना महंगाई भत्ता दिए जाने का नियम राज्यों में है. लेकिन इसके बावजूद छत्तीसगढ़ सरकार उससे आधा केवल 17 प्रतिशत महंगाई भत्ता दे रही है.

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अन्य राज्य दे रहे 34 प्रतिशत भत्ता

संगठन का कहना है कि राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार सहित देश के कई राज्य 34 प्रतिशत महंगाई भत्ता अपने राज्य के कर्मचारियों को दे रहे हैं. सभी आवश्यक सामानों के दाम आसमान छूने के कारण अधिकारी-कर्मचारियों के घर का बजट बिगड़ चुका है. इसलिए अब कोई भी अधिकारी-कर्मचारी हर महीने हजारों रुपये का नुकसान उठाने को तैयार नहीं है.