जालंधर। स्कूल में अटेंडेंस को लेकर पंजाब सरकार और शिक्षक आमने-सामने आ गए हैं. दरअसल पंजाब के शिक्षा सचिव ने सरकारी और एडिड कॉलेजों के शिक्षकों और नॉन टीचिंग स्टाफ को एम सेवा मोबाइल एप डाउनलोड करके मंगलवार से अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के आदेश दिए हैं, तो दूसरी तरफ टीचर्स इसके विरोध में उतर आए हैं. पहले ही दिन पंजाब चंडीगढ़ कॉलेज टीचर्स यूनियन (पीसीसीटीयू) ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाकर इन आदेशों का विरोध किया. यूनियन के प्रधान प्रोफेसर विनय सोफत ने बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में इस आदेश को तुरंत खारिज करने की मांग उठाई गई.
फैसला वापस लेने की मांग
जिला प्रधान डॉ संजीव धवन ने शिक्षा सचिव के इस आदेश की निंदा की. उन्होंने कहा कि हम उन सभी निर्देशों का पालन करने के लिए तैयार हैं, जो उच्च शिक्षा की बेहतरी के लिए है, लेकिन हम हमारी गोपनीयता और अकादमिक स्वायत्तता को किसी भी कीमत पर सरेंडर करने के लिए तैयार नहीं हैं. उन्होंने कहा कि पहले भी सचिव उच्च शिक्षा ने जानबूझ कर यूजीसी के नियमों का उल्लंघन किया है. हम पंजाब के शिक्षा मंत्री से निवेदन करते हैं कि इस तरह के तानाशाही पत्र जारी करने से सचिव उच्च शिक्षा को रोका जाए. ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज लगाने के लिए स्टाफ को विवश करने वाले फैसले को तुरंत वापस लिया जाए.
कड़ा विरोध करने की चेतावनी
पीसीसीटीयू के जनरल सेक्रेटरी प्रोफेसर सुखदेव सिंह रंधावा ने पीसीसीटीयू के सभी सदस्यों को इस मोबाइल एप्लिकेशन को इन्स्टॉल नहीं करने को कहा. उन्होंने कहा कि कोई शिक्षक मोबाइल एप पर उपस्थिति दर्ज नहीं करवाएगा. अगर एक सप्ताह में इस समस्या का समाधान नहीं हुआ और उच्च शिक्षा सचिव ने अपना तानाशाही रवैया नहीं बदला, तो वे उनके खिलाफ राज्यव्यापी विरोध के लिए मजबूर होंगे.
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