इमरान खान, खंडवा। मैम! मुझे मेरी पत्नी दिला दीजिए… ये गुहार जनसुनवाई में दो साल के मासूम बेटे के साथ पहुंचे युवक ने अधिकारियों से लगाई। युवक ने कहा कि पत्नी को लाने के लिए दो साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहा हूं, लेकिन ससुराल पक्ष मेरी पत्नी को भेजने को तैयार नहीं है। ससुराल वाले और समाज के पदाधिकारी मुझे बार-बार बुलाकर केस वापस लेने के लिए धमकाते हैं। कहते हैं तलाकनामे पर उल्टे केस में फंसा दूंगा। पैसे की डिमांड करते हैं। मैं गरीब आदमी कहा से पैसे दूं। यह गुहार रितेश कुशवाह निवासी हरदा ने खंडवा जिसा पंचायत सीईओ नंदा भलावे के सामने लगाई।
युवक ने बताया कि उसका विवाह 24 फरवरी 2018 को ग्राम रुस्तमपुर में काळी समाज के सामूहिक सम्मेलन में ग्राम पिपलोद के शांतिलाल महाजन की पुत्री रूपाली से हुआ था। साल 2020 में रूपाली को उसके पिता रक्षाबंधन के बहाने अपने घर ले गए। कुछ दिन बाद उन्होंने मुझे ससुराल बुलाया और कहा बेटे को ले जाओ। ससुर ने उसी दिन समाज के पदाधिकारियों को घर बुलाया और तलाक के लिए दबाव बनाया।
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26 नवंबर 2020 को मुझे पदाधिकारियों ने ग्राम चमाटी बुलाया। मैं पहुंचा तो पदाधिकारियों ने तलाकनामे पर हस्ताक्षर कराने के साथ-साथ पैसे के लिए भी दबाव बनाया। कहते समाज के कार्य के लिए पैसे दो। इधर समाज के उपाध्यक्ष ने इस पूरे मामले को पति-पत्नी का आपसी मामला है बताया और कहा इसमें समाज का कोई हस्तक्षेप नहीं है। पदाधिकारी कोई दबाव नहीं बना रहे। हम पर लगाए जा रहे आरोप निराधार है।
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