रायपुर. सूर्य पूरी दुनिया को प्रकाश देने वाला ग्रह हैं, जिससे दुनिया जीवित है. विज्ञान भले सूर्य को एक स्थिर ग्रह मानता हो, लेकिन ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को हमेशा सीधी चाल चलने वाला ग्रह माना जाता है. राशि चक्र की पांचवी राशि सिंह के स्वामी सूर्य ऊर्जा के कारक माने जाते हैं. इन्हें आत्मा का कारक भी माना जाता है. इसलिए सूर्य का अच्छा होना जातक के आत्मबल में भी वृद्धि करता है. पिता का कारक भी सूर्य को ज्योतिष में माना जाता है. कुंडली में बहुत सारे महत्वपूर्ण योग भी सूर्य अन्य ग्रहों के साथ युति करके बनाते हैं. राहू की संगति इन्हें ग्रहण भी लगाती है. नवग्रहों में बात करें तो चंद्रमा, मंगल व गुरु इनके मित्र ग्रह हैं, जबकि राहू, केतु, शुक्र व शनि के साथ इनकी खास नहीं बनती. बुध के साथ ये समभाव रखते हैं. बुध के साथ आने पर बुधादित्य योग बनता है, जिसे बहुत ही सौभाग्यशाली माना जाता है. उनके प्रभाव से युक्त सूर्य जातकों के जीवन को बहुत प्रभावित करते हैं.

सूर्य एक राशि में लगभग एक महीने तक रहते हैं. इसी कारण हिंदू पंचांग मास का निर्धारण भी सूर्य की चाल पर होता है. तिथि का आरंभ भी सूर्योदय से ही मानते हैं. सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है. मकर राशि में सूर्य जब प्रवेश करते हैं तो यह समय स्नान-दान पुण्य आदि के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है. मकर संक्रांति को बड़े स्तर पर पर्व के रूप में मनाया जाता है. इसे उत्तरायण भी कहते हैं. यहीं से शुभ समय की शुरुआत भी मानी जाती है. मिथुन राशि के पश्चात दक्षिणायन में हो जाते हैं. तुला राशि में ये नीच के होते हैं तो मेष राशि में उच्च के. इस तरह सूर्य एक बहुत ही प्रभाव शाली ग्रह हैं. जो भी ग्रह सूर्य के समीप आते हैं उन्हें अस्त माना जाता है यानि उनका अपना कोई प्रभाव नहीं रह जाता है. जातक के स्वास्थ्य पर सूर्य का बहुत असर होता है. सूर्य जातक को जीवन में सभी प्रतिकूल घटना से लड़ने में जीवन शक्ति, ऊर्जा और अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करने के साथ ही उसे बेहतर शारीरिक चरित्र भी प्रदान करते हैं.

सूर्य 14 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 39 मिनट पर मीन राशि की यात्रा समाप्त करके अपनी उच्चराशि मेष में प्रवेश कर रहे हैं. इस राशि पर ये 15 मई, प्रातः 5 बजकर 29 मिनट तक गोचर करेंगे और उसके बाद वृषभ राशि में प्रवेश कर जाएंगे.

इस बार सूर्य का उच्चराशि मेष में प्रवेश अनुकूल नहीं होगा क्योंकि इस राशि में राहु का प्रवेश पहले ही हो चुका है, सूर्य के मेष में प्रवेश होते ही सूर्य और राहु की युति ग्रहण दोष का निर्माण करेगा, जोकि पूरे माह रहने वाला है, जिसके कारण उच्चराशि गत सूर्य होते हुए भी देश-दुनिया के साथ समाज एवं व्यक्तिगत जीवन में भी विवाद, हिंसा, हानि, जल अथवा अग्नि से संबंधित दुर्घटना के अलावा रोग एवं शत्रुता के बढ़ने से कष्ट की भी संभावना हो सकती है.